आसियान देशों के रामायण महोत्सव का करेगा आयोजन

नई दिल्ली , Vinod Vaishnav :नई दिल्ली शहर , दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संगठन (आसियान- एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस) देशों के रामायण महोत्सव की कमानी ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में 20-24 जनवरी 2018 को मेजबानी करेगा | भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद  द्वारा आयोजित यह  पांच दिवसीय महोत्सव  इंडोनेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओ पीडीआर, म्यांमार, वियतनाम और भारत जैसे देशों के शीर्ष समूहों के प्रदर्शन का साक्षी होगा।इस अवसर पर आईसीसीआर के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि –“ इस कार्यक्रम में सभी 10 आसियान देशों के सांस्कृतिक मंडल द्वारा प्रदर्शन किया जायेगा | रामायण द्वारा , यह महोत्सव दक्षिण पूर्व एशिया के प्रदर्शन कला के परम्पराओं में निपुण नायकों को प्रदर्शित करेगा |”उन्होंने आगे कहा कि  – “ भारत, आसियान के सभी देशों के साथ मजबूत सभ्यतागत संबंधों से आनंदित है। रामायण जैसा कि विभिन्न आसियान देशों में प्रदर्शित किया जाता है, न केवल उनके साथ हमारे मजबूत सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों का प्रतिबिंब है, बल्कि यह एक बंधन है जो उनका सामान्य विरासत है और हमें एक दूसरे के साथ बांधता है |”इस महोत्सव में, आसियान में शामिल देश राम की कहानी के अलग-अलग प्रकरण को विभिन्न तरह के ध्वनियों,प्रकाश और सूक्ष्म व्याख्याओं और रहस्योद्घाटन के माध्यम से प्रस्तुत करेंगे | वे महाकाव्य के अंतर्गत आने वाले व्याख्याओं को अपने परम्परागत रूप से प्रदर्शित करेंगे | दिल्ली में प्रस्तुति देने के उपरांत यह वैश्विक रामायण समूह अयोध्या, लखनऊ, कोलकाता, हैदरबाद और अहमदाबाद में भी अपनी प्रस्तुति देंगें |रामायण, दुनिया के सबसे लम्बे महाकाव्यों में से एक है , इसे कविताओं में पहला आदि काव्य भी कहते हैं | भारत के विश्वास, संस्कृति और कला पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है। इसमें शामिल कर्तव्य और धार्मिकता की अवधारणाओं का समावेश भारतीय दर्शन और साहित्य में पूर्ण रूप से व्याप्त है। लाखों साधकों के साथ ही कवियों, चित्रकारों , मूर्तिकारों, नर्तकों, और संगीतकारों को यह महाकाव्य प्रेरणा देता है | रामायण, एक बहु-स्तरीय इतिहास, एक असाधारण, कथात्मक रूपक में नैतिकता, भक्ति, ज्ञान और मूल्यों को को प्रदर्शित करता है। रामायण की कल्पना और प्रतीकात्मकता इतनी ताकतवर थी कि इस महाकाव्य ने आसानी से भारत के बाहर, लोगों की चेतना पर प्रभाव डाला ।

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