गुरुग्राम VinodVaishnav । बदलती दिनचर्या और रुढ़ीवादी परंपराओं को छोड़कर बढ़ रहे मानसिक रोगियों की संख्या पर नियंत्रण अब समय की जरुरत बनता जा रहा है। मानसिक रोग एक बीमारी है जिसे छुपाया ना जाए, इसका सही समय पर उपचार हो इसलिए जरूरी है कि लोग मानसिक रोगों के कारण और निवारण के बारे में जागरूक हों। यह निष्कर्ष बुधवार को संबंध हेल्थ फाउंडेशन( एसएचएफ) की एमपीएस स्पोंसरड विलेज प्रोजेक्ट की वार्षिक रिव्यू बैठक में निकलकर सामने आया।
संबंध हेल्थ फाउंडेशन( एसएचएफ) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.राजीव अग्रवाल ने कहा है कि वर्तमान में बदलती जीवनशैली से हमारे शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, जिस कारण डिप्रेशन सहित कई तरह की बीमारियेां से हम ग्रसित होते जा रहे है। इसमें खासतौर पर सिजोफे्रनियंा और बायपोलर प्रमुख है।
उन्होने बताया कि वर्तमान में डिप्रेशन के प्रभाव में 25 से 40 पार आयु वर्ग आ रहा है। खासतौर पर इनमें महिलाअेंा की अपेक्षा पुरुषों में मानसिक रोग की यह समस्या अधिक सामने आई है जो कि चिंता का विषय है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे 2015- 16 के एक अनुमान के मुताबिक गुरुग्राम में 50,000 लोग मानसिक रोग से पीड़ित हैं। इसी तरह एक दशक पुराने एक अध्ययन में पाया गया था कि भारत में 10 करोड़ लोगों के व्यवस्थित देखभाल की जरूरत है।
उन्हेाने कहा कि मानसिक रोग और विसंगतियां किसी भी उम्र में हो सकती है और इसका असर अलग-अलग होता है। रोग लगने की बदनामी और समझदारी की कमी के कारण लोग स्वास्थ्य पेशेवरों की मदद नहीं ले पाते। इस तरह, रोग के उपचार के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण समय बर्बाद हो जाता है।
इस अवसर पर झारसा के पार्षद हेमंत कुमार सैनी ने कहा कि वर्तमान समय में हमारी भागदौड़ भरी जिदंगी में तनाव, स्ट्रेस भी कम नहीं है, और यही तनाव हावी होकर मानसिक रोगी बना देता देता है। ऐसे में सबसे पहले तनाव प्रबंधन, योग व व्यायाम के साथ अच्छा समय व्यतीत करने की कोशिश होनी चाहिए। समाज में कई घटनाएं ऐसी होती हैं जो मनोरोग का कारण बन जाती है। मसलन घरेलू हिसंा, दुव््र्यवहार, प्राकृतिक आपदा, आगजनी, सड़क हादसा आदि के पीड़ित भी मानसिक रोगी बन सकते हैं। ऐसे लोगों को तुरंत काउंसलिंग की जरूरत होती है।
सैनी ने कहा कि पिछले लंबे समय से गांव व आसपास के इलाकेां में काम रहे एसएचएफ का रिकवरी कार्यक्रम भी मानसिक रोगों में बेहद लाभदायक रहा है। रिकवरी कार्यक्रम से इस इलाके में कई लोगों को लाभ मिला है। इसमें ऐसे लोगों को सबसे पहले भावनात्मक सहारा, तनाव प्रबंधन के गुर, अवसादग्रस्त लोगों के साथ थोड़ी-थोड़ी देर में बातचीत इत्यादि तरीकोें को प्रयोग कर ऐसे लोगों को सामान्य जीवन में लाया जाता है। इसके साथ कोशिश यह हो कि ऐसे लोगों का किसी तरह से अपमान या दुर्व्यवहार न हो।
एस.एच.एफ. की ट्रस्टी रीता सेठ ने कहा कि मानसिक रोग एक जैसे नही होते, इसलिए इसमें चिकित्सकेंा के साथ साथ आम नागरिक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके लिए जरुरी है कि ग्राम स्तर पर पंचायत के सदस्य, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी, धर्म गुरु इत्यादि इसमें मुख्य भूमिका निभा सकतें है। ये सभी लेाग ग्राम स्तर पर हमेशा लोगों के बीच रहतें है।
बैठक में ग्रामीणों ने मानसिक रोग पर रिकवरी कार्यक्रम की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की और ग्राम स्तर पर इस कार्यक्रम को और अधिक कैसे सुद्वढ़ किया जाए इस पर भी चर्चा की।
खान पान बड़ी समस्या
वर्तमान में बदलती दिनचर्या का इसकी सबसे बड़ी कारण बनती जा रही है, आज स्वस्थ और पोष्टिक भोजन की जगह बर्गर, पिज्जा, चॉकलेट, ठंडा, नुडूल्स आ रहा है जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। इसके साथ ही हमारी जीवन शैली के कारण हम व्यायाम पर ध्यान नहीं देते जिससे शहरी आबादी का एक बड़ा हिस्सा कई तरह के मानसिक रोगों का शिकार हो रहा है। जोकि हम सभी के लिए चिंताजनक है।
खास कार्यक्रम से हो रहा बदलाव
हरियाणा सरकार ने जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम सिविल अस्पताल और एसएचएफ मिलकर समुदाय आधारित केंद्र चला रहे है। जिसमें विभिन्न तरह के मानसिक रोगो से स्वास्थ्य लाभ और जागरूकता के कार्यक्रम चलाए जा रहे है। जिसमें रिकवरी कार्यक्रम मुख्य है, इसमें योग, ध्यान इत्यादि से लेकर हमारी दिनचर्या के सारे काम शामिल है। जो एक सामान्य इंसान करता है।
इस रिकवरी कार्यक्रम से जरूरतमंद लोगों के जीवन में काफी परिवर्तन आया है। इस केन्द्र में रह रहे कई मानसिक रोगियों ने स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर अपना आत्मविश्वास दुबारा से प्राप्त किया है।
बैठक में मानसिक रोग से रिकवरी कार्यक्रम से ठीक हो चुकी गांधीनगर की कमला (काल्पनिक नाम) ने कहा कि बीमारी के दौरान परिवार व मौहल्ले के लोगों ने बहिष्कार कर दिया था। कोई बात भी नही करता था, यंहा तक कि हमारे बच्चों के साथ भी कोई बातचीत नही करता था। समय के साथ एसएचएफ रिकवरी कार्यक्रम से मानसिक रोग से मुक्ति मिली।
वहीं बसई गांव की सुमन (काल्पनिक नाम) ने परिवार की दुःख भरी दास्ता सुनाते हुए कहा कि रिकवरी कार्यक्रम में नियमित काउंसलिग, बैठक व आपसी व्यवहार व आत्मविश्वास से मेरे पति आज ठीक हो पाए है। आज परिवार की स्थिति भी ठीक हो गई है और आज मैं स्वंय यंहा चाय की दुकान चला रही हूं।
बैठक में नर्सिंग स्टाफ, धार्मिक संस्था और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियेां, एस.एच.एफ. की ट्रस्टी रीता सेठ, मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव अग्रवाल, कार्यक्रम अधिकारी स्मिति गहरोत्रा, वल्र्ड विजन इंडिया, रुसेट डायरेक्टर, प्रोग्राम आफिसर दिपशिखापाल, झारसा के पार्षद हेमंत, फैजल, इपस्तिा, ताबिश तथा गुरुग्राम गांव, बसई, शिवाजीनगर एंव झारसा गांव के दो दर्जन नागरिक उपस्थित रहे।