भड़ाना परिवार और गुर्जर समाज — :एक संघर्ष, एक इतिहास :- कुलदीप सिंह की जुबानी
Posted by: admin | Posted on: 1 month agoबहुत से नए युवक आजकल भड़ाना परिवार को फॉलो कर रहे हैं, पर असली संघर्ष और योगदान कई लोग भूल चुके हैं। आइए, याद करें!
👉 1980 के दशक में, मंडल कमीशन में गुर्जर समाज को शामिल नहीं किया जा रहा था। भड़ाना साहब ने आंदोलन शुरू किया, सरकार को अल्टीमेटम दिया, और आखिर में गुर्जर समाज को पिछड़े वर्ग में शामिल करवाया।
👉 1987 में, गुर्जर समाज में एकता नहीं थी, लोग अपने गोत्र तक लिखने से डरते थे। भड़ाना परिवार ने पूरे देश में महासम्मेलन करवा कर समाज को इतिहास से जोड़ा और जागरूक किया।
👉 1989, पहली बार हरियाणा कैबिनेट में गुर्जर समाज को जगह मिली — अवतार सिंह भड़ाना बिना विधायक बने मंत्री बने।
👉 1991, पहली बार हरियाणा से कोई गुर्जर सांसद बने — फरीदाबाद से अवतार सिंह भड़ाना। आज जिसे “गुर्जर लैंड” कहते हैं, वहां ये पहचान भड़ाना परिवार ने बनाई
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👉 1999, मेरठ में गुर्जर राजनीति खत्म होने की कगार पर थी। भड़ाना जी ने समाज को एकजुट किया, मेरठ से सांसद बने और आज के युवा नेताओं की नींव रखी।
👉 2000 के दशक में, राजस्थान में आरक्षण आंदोलन में समाज को एकजुट करने में भड़ाना परिवार ने अहम भूमिका निभाई।
👉 2007, सूरजकुंड में ऐतिहासिक सभा में करतार सिंह भड़ाना ने इस्तीफा देकर दिल्ली को हिला दिया।
👉 2012, खतौली से पहली बार कोई गुर्जर विधायक बने — करतार सिंह भड़ाना।
👉 2017, मीरापुर से पहली बार कोई गुर्जर विधायक बने — अवतार सिंह भड़ाना।
👉 2019, यूपी में किसी गुर्जर मंत्री को जगह न मिलने पर अवतार सिंह भड़ाना ने इस्तीफा दिया, असर ये हुआ कि पार्टी को मजबूरी में गुर्जर मंत्री बनाना पड़ा।
🔥 सच्चाई ये है कि भड़ाना परिवार ने जहां-जहां लड़ा, वहां समाज के लिए जगह बनाई। आज कई सीटों पर समाज के लोग आगे आ रहे हैं, ये उसी संघर्ष का फल है।
भड़ाना परिवार ने दशकों तक समाज की लड़ाई लड़ी है — बिना सोशल मीडिया के, बिना लाइक और फॉलोअर्स के।
🙏 आज भी अगर भड़ाना साहब कुछ कहते हैं, तो वो अनुभव से कहते हैं। समाज को फायदा उठाना चाहिए और एकजुट होकर सही रास्ता चुनना चाहिए।

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