फरीदाबाद (विनोद वैष्णव )01/04/2017|शहर से हर रोज औसतन पांच से सात वाहन चोरी होते हैं, इनमें दोपहिया वाहनों की संख्या अधिक होती है। ज्यादातर मामलों में वाहन मालिक चोरी की सूचना तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को देते हैं। इसके बाद कंट्रोल रूम से वीटी कर सभी नाकों को अलर्ट कर दिया जाता है, मगर ऐसा शायद ही होता है कि वाहन चोरी कर भाग रहा चोर नाकों पर पकड़ा जाता हो। शहर में नाकों पर पुलिस की ‘चौकसी’ परखने के लिए दैनिक जागरण टीम ने सहायक पुलिस आयुक्त क्राइम राजेश चेची के साथ मिलकर पड़ताल की।
शुक्रवार शाम 5.05 बजे सेक्टर-21सी स्थित पुलिस आयुक्त कार्यालय में एसीपी राजेश चेची की मौजूदगी में पुलिस कंट्रोल रूम को फोन लगाया और सेक्टर-21सी के कर्नाटक बैंक के सामने से अपनी स्पलेंडर मोटरसाइकिल चोरी होने की सूचना दी। मोटरसाइकिल के नंबर सहित अन्य जानकारी भी बताई। पुलिस कंट्रोल रूम को यह भी बताया गया कि चोर मोटरसाइकिल को एनआइटी की ओर लेकर गए हैं। इसके बाद मोटरसाइकिल लेकर नाकों की स्थिति जानने के लिए निकल पड़े। अपने साथ पुलिस के एक सिपाही को भी बिठा लिया ताकि अगर किसी नाके पर पकड़े जाएं तो वह हमारी मदद कर सके।
पहला नाका : सेक्टर-21ए : यहां तीन पुलिसकर्मी कुर्सियों पर बैठे हुए मिले। मोटरसाइकिल रोककर हमने उनसे एनआइटी-5 जाने का रास्ता पूछा। एक पुलिसकर्मी हमारे पास तक आया और रास्ता बताया। उसने मोटसाइकिल के नंबर देखने की जहमत नहीं उठाई। हम यहां से आगे बढ़ गए।
दूसरा नाका: एनआइटी-5 भगत¨सह चौक पर पीसीआर मौजूद थी। साथ ही काफी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद थे और वाहनों की जांच कर रहे थे। शायद मोटरसाइकिल चोरी होने की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम से उन्हें मिल चुकी थी। हमारी धड़कनें बढ़ गई कि दूसरे नाके पर ही हमारा अभियान समाप्त हो जाएगा। मोटरसाइकिल लेकर हम एक पुलिसकर्मी के पास तक गए और उससे नीलम चौक जाने का रास्ता पूछा। उसने बिना मोटरसाइकिल का नंबर देखे हाथ से इशारा कर रास्ता बता दिया। हम आगे बढ़ गए।
तीसरा नाका: नीलम बाटा रोड पर एस्कोर्ट्स अस्पताल के सामने नाका खाली पड़ा था। ऐसे में हम बेधड़क आगे बढ़ गए।
चौथा नाका: हम मोटरसाइकिल सहित हार्डवेयर चौक पर बने पुलिसबूथ के सामने रुके। पुलिसकर्मी अंदर बूथ में बैठे हुए थे। हमने बीके चौक जाने का रास्ता पूछा। एक पुलिसकर्मी पास तक आया और रास्ता बताकर वापस चला गया। हम फिर आगे बढ़ गए।
पांचवां नाका: बीके चौक पर तीन पुलिसकर्मी मौजूद थे और वाहनों की जांच कर रहे थे। तभी एक पुलिसकर्मी हमारी मोटरसाइकिल की ओर आया, हमें लगा कि अब अभियान यहीं समाप्त करना होगा लेकिन उसका ध्यान हमारी तरफ नहीं था। वह बिना हेलमेट हमारे पीछे चल रहे मोटरसाइकिल चालक को रोक रहा था। हमने वहां भी रास्ता पूछा। पुलिसकर्मियों ने रास्ता बता दिया और हम आगे बढ़ गए।
छठा नाका: नीलम चौक पर चार पुलिसकर्मी मौजूद थे। हम मोटरसाइकिल लेकर उनकी तरफ गए। वहां रुककर गांधी कॉलोनी जाने का रास्ता पूछा। एक पुलिसकर्मी कुर्सी से उठकर आया और उसने रास्ता बता दिया। हम थोड़ी देर वहां खड़े होकर इधर उधर देखते रहे फिर आगे बढ़ गए।
एसआइ नाहर¨सह ने बचाई पुलिस की नाक: एक के बाद एक नाके से निकलते हुए हमें लगा कि अभियान सफल रहा और एक अच्छी स्टोरी तैयार हो गई। फिर हमने उस जगह की भी जांच करने का मन बनाया, जिस जगह से मोटरसाइकिल चोरी होने की सूचना दी गई थी। यहीं हम चूक कर गए। हम वहां पहुंचे तो तीन-चार पुलिसकर्मी मौजूद थे। हम एक पुलिसकर्मी को रोककर उससे बातचीत की कोशिश कर रहे थे कि तभी एसआइ नाहर¨सह हमारी ओर आए और कहा कि इस मोटरसाइकिल के चोरी होने की वीटी चल रही है यह तुम्हारे पास कैसे आई। उन्होंने मोटरसाइकिल की चाबी निकाल ली। अब मोटरसाइकिल पर पीछे बैठे हमारे पुलिसकर्मी साथी ने हमारी मदद की और उन्हें बताया कि नाकों की जांच के लिए यह एक पड़ताल की जा रही थी। हमने वहीं अपना अभियान समाप्त कर दिया। एसआइ नाहर¨सह के बारे में हमने एसीपी क्राइम राजेश चेची को बताया तो उन्होंने उन्हें सम्मानित करने का वादा किया।
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शहर में नाकों पर अब अधिक मुस्तैदी की जाएगी। नाकों पर तैनात रहने वाले पुलिसकर्मियों के साथ बैठक लेकर उन्हें बताया जाएगा कि उनकी मुस्तैदी कितनी जरूरी है।
– राजेश कुमार चेची, एसीपी क्राइम।
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आंकड़े बोलते हैं:
– शहर से हर औसतन रोज चार से पांच वाहन चोरी होते हैं।
– पिछले साल 1957 वाहन चोरी हुए थे।
– इस साल अब तक 315 वाहन चोरी हुए हैं।