कलावा बांधना हिन्दू धर्म का एक अहम हिस्सा है। इसे कलाई में बांधा जाता हैं। किसी भी शुभ कार्य या पूजा की शुरुआत में कलावा बांधा जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना गया है कि कलावा बांधने से देवताओं की कृपा आप पर बनी रहती है और उनकी आशिर्वाद मिलता हैं। कलावा किसी भी देवी देवता के नाम का बांधा जा सकता है। यह हमेशा संकट के समय रक्षा कवच का काम करता है। वहीं कलावा मंगलवार और शनिवार के दिन बदल जरूर देना चाहिए।
कलावे को बांधने का सही तरीका :-
कहा जाता है कि कलावे को कलाई पर 3 बार ही लपेटना चाहिए। 3 से ज्यादा बार लपेटने से इसका शुभ लाभ नही मिलता है। लड़को को और कन्याओं को हमेशा उल्टे हाथ में कलावा बांधना चाहिए। इसके साथ ही शादीशुदा स्त्रियों को सीधे हाथ में बांधना चाहिए। वहीं ध्यान रखना चाहिए कि कलावा बांधते समय हाथ की मुट्ठी बंधी होनी चाहिए , दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए और सिर पर चुन्नी या रुमाल होना चाहिए।
- कलावा दो प्रकार का होता है। कलावा तीन धागों वाला और पाँच धागों वाला भी होता है। तीन धागों वाला कलावा लाल , पीला और हरे रंग का होता है। इसे त्रिदेव का कलावा भी कहा जाता हैं। वहीं पाँच धागों वाले कलावे में लाल , पीला हरा , नीला और सफेद रंग का धागा होता है। जिसे पंचदेव कलावा कहा जाता हैं।
- कलावे को हाथ की कलाई पर बढ़ने से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती हैं। कलावा बांधने से व्यक्ति को शक्तिशाली होने का अहसास होता है। उसे अपने अंदर से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं उसका मन शांत रहता है और इधर उधर भटकता नहीं है। जिससे वह एक सही राह में चलता रहता है।
यह मंत्र का जाप जरूर करे :-
कलावा किसी बड़े या पंडित से बांधवाना शुभ होता है क्योंकि मंत्रों को पढ़ कर बांधे जाने से यह ज्यादा असर करता है। वैसे तो आजकल ऐसे कुछ लोग हैं जो अपने हाथ से ही कलावा बांध लेते हैं। लेकिन ऐसे में उन्हें कलावा बांधते समय यह मंत्र को जरूर पढ़ना चाहिए।
‘ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल :। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।। ‘
नोट : ये सभी जानकारिया सोशल मीडिया द्वारा ली गयी है।