फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : शास्त्रों में मार्गशीर्ष माह की अमावस्या का काफी महत्व है। अमावस्या चंद्रमास के कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन होता है अगर शास्त्रों की माने तो यह तिथि धर्म – कर्म , स्नान – दान और तर्पण जैसे कामो के लिए काफी शुभ मानी जाती है । वही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या पर साल का आखिरी सूर्यग्रहण भी लगने वाला है और इस दिन शनिश्चरी अमावस्या का संयोग भी बनने वाला है , जिस वजह से इस दिन आपको खास सावधानी बरतनी होगी चलिए जान लेते है आखिर क्या है मार्गशीर्ष अमावस्या की शुभ तिथि , पूजा का सही समय , पूजा करने का तरीका और घर में सुख शांति और समृद्धि के लिए क्या करना चाहिए :-
जानिए मार्गशीर्ष अमावस्या का शुभ मुहर्त :
- मार्गशीर्ष अमावस्या 4 दिसम्बर शनिवार को है।
- ॐ अमावस्या तिथि की शुरुवात 3 दिसम्बर शाम 4:55 मिनट पर होगी
- अमावस्या तिथि 4 दिसम्बर दोपहर 01:12 मिनट पर समाप्त होगी
सूर्यग्रहण व सूतक काल का समय
- अंतिम सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर शनिवार मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन लगेगा।
- 4 दिसंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारतीय समय अनुसार सुबह 10:59 मिनट पर शुरू हो जाएगा जो लगभग चार घंटे बाद दोपहर 03:07 मिनट पर समाप्त होगा।
- यह उपछाया सूर्यग्रहण होगा जिस कारण इसका सूतक मान्य नहीं होगा।
जानिए अमावस्या पूजा का विधि-विधान :
अमावस्या तिथि के दिन पितरों को यद् करके श्राद्ध कर्म करने की परंपरा होती है। ज्योतिष के अनुसार माने तो इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन साल का आखिरी सूर्यग्रहण लगेगा। ग्रहण की शुरुवात सुबह 10:59 मिनट पर हो जाएगी जो दोपहर करीब 03:07 मिनट पर ख़तम होगा। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा।
इस अमावस्या के दिनसुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ़ वस्त्र धारण करने चाहिए और सूर्य को जल अर्घ्य देना चाहिए। सूर्य को जल अर्घ्य देकर पितरों के नाम सेपूजा पाठ धूप दीप व दान आदि करना चाहिए। इस दिन जरूरतमंद लोगों को दान करना काफी शुभ मन जाता है। इस दिन धन और अनाज का दान करना चाहिए। यह शनि अमावस्या है इसीलिए इस दिन शनि महाराज की पूजा करने से शनि ग्रह से जुड़े दोष दूर होते हैं।
नोट : सभी जानकारियां सोशल मीडिया द्वारा ली गयी है।