सूरजकुण्ड( विनोद वैष्णव )-अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सूरजकुंड षिल्प मेला कला एवं संस्कृति का संगम है। जहां राष्ट्रीय व अंर्राष्ट्रीय स्तर की विधाओं व लोक संस्कृतियों को अपनी कला का प्रदर्षन करने का मंच प्राप्त होता है।यह विचार सूरजकुंड षिल्प मेले की सांय संध्या में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पधारे विदेष मंत्रालय के संयुक्त सचिव जयंत खोबरागडे ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि विष्व एक ग्राम का साक्षात दर्षन सूरजकुंड मेले में बखूबी देखने को मिलता है। जहां देष-विदेष से आए कलाकार अपनी लोकसंस्कृति के माध्यम से दर्षकों एवं श्रोताओं का जहां एक ओर मनोरंजन करते हैं वहीं दूसरी ओर विलुप्त होती हस्त षिल्प के भी आष्चर्यचकित कर देेने वाली वस्तुओं के बारे में भी लोगों को जानकारी हासिल होती है। इस दौरान उन्होंने स्वयं भी एक हिन्दी गाने के माध्यम से विदेषी कलाकारों के साथ श्रोताओं व दर्षकों की ओर से उनकी प्रषंसा में खूब तालियां बटोरीं। अतिथि के रूप में उपस्थित प्रधान सचिव, हरियाणा अषोक खेमका ने कहा कि संस्कृति को संजोकर रखना और उसे आमजन के बीच लेकर आना यह भी अपने आप में किसी कला से कम नहीं। ऐसे में सूरजकुंड हस्त षिल्प मेला एक ऐसा मंच है जहां संस्कृति की विरासत का परिचय कराया जाता है। साथ ही इससे दर्षकों व श्रोताओं का मनोरंजन भी होता है। उन्होंने कहा कि दिन प्रतिदिन बढती इस मेले की ख्याति इस बात का परिचायक है कि विष्व की नई-नई विधाओं से जुडे लोगों की सूरजकुंड हस्तषिल्प मेला पहली पंसद बन गया है। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया। समारोह के दौरान पार्टनर कंट्री किर्गिस्तान की महिला-युवती कलाकारों द्वारा उनके परंपरागत नृत्यों के अलावा पंजाबी गायक हन्नी सिंह के गाने के बोल हाय हिल ते नच्चै-कैसे नैनों से नैन मिलाउ सजना जैसे अन्य हिन्दी गानों पर मनोहारी नृत्य प्रस्तुत किया। राजस्थान से आए लोक कलाकारों द्वारा लंगा गायन व निंबूडा जैसे गानों पर भी अपनी वीणा व साजो के साथ सुंदर प्रस्तुति दी गई।इस अवसर पर भूमि सुधार निगम के चैयरमेन अजय गौड सहित कई गणमान्य व्यक्यिों ने भी इस सांस्कृतिक संध्या में षिरकत की।
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