सतयुग दर्शन वसुन्धरा के विशाल सभागार में विशिष्ट अतिथियों के संग

फरीदाबाद | जैसा कि सजनों ज्ञात ही है कि सतयुग दर्शन ट्रस्ट, दिनाँक 7 सितम्बर को, विश्व समभाव दिवस के रूप में मनाता है और साथ ही इस दिन वह अपने परिसर में अंतर्राष्ट्रीय मानवता-ई-ओलम्पियाड के विजेताओं को भी पुरस्कृत करता है। इस वर्ष भी आमन्त्रित विशिष्ट अतिथियों, दिल्ली एन.सी.आर के स्कूलों के प्रधानाचार्यों,अंतर्राष्ट्रीय समभाव ओलम्पियाड परीक्षा के विजेताओं के संग यह कार्यक्रम आयोजितगया। कार्यक्रम की शुरुवात सतयुग दर्शन ट्रस्ट के मार्गदर्शक श्री सजन जी, सतयुग दर्शन ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी श्रीमती रेशमा गाँधी जी की उपस्थिति में धर्म का झंड़ाबुलंद करके की। इस अवसर पर सतयुग दर्शन के विशाल सभागार में दिल्लीएन.सी.आर के जाने माने स्कूलों/कालेजों के प्रधानाचार्य/प्रोफेसरस/अध्यापकगण व अंतर्राष्ट्रीय मानवता-ई-ओलम्पियाड के विजेताओं के अतिरिक्त, बतौर चीफ गेस्ट, श्री कंवरपाल गुर्जर, शिक्षा एवं पर्यटन मंत्री जी, गेस्ट आफॅ आनर के रूप में लुध्याना,करनाल, रूपनगर व फरीदाबाद आदि के डी0 ई0 ओ0, विभिन्न विद्यालयों के डायरेक्टर/चेयरपरसन, एन0 एस0आई0सी के एम0डी श्री एच0 पी0 कुमार,सहायक पुलिस आयुक्त श्री सुधीर तनेजा आदि भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर उपस्थित सजनों को सम्बोधित करते हुए सतयुग दर्शन ट्रस्ट के मार्गदर्शक श्री सजन जी, ने कहा कि कुदरत ने समयकाल को चार युगों में बाँट रखा है यथा सतयुग, त्रेता, द्वापर व कलियुग। काल क्रम अनुसार अब कलुकाल जाने वाला है और सतवस्तु आने वाली है। इस कुदरत के अटल सत्य को दृष्टिगत रखते हुए, वैश्विकस्तर पर, आज हर जानिब से, प्रत्येक मानव को सत्यता का प्रतीक आत्मज्ञान प्रदान कर, धर्मज्ञ बनाने की नितांत आवश्यकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जहाँ संकल्प के स्वरूप अनुसार, त्रेता में धर्म तीन पाद पर व द्वापर में दो पाद पर स्थित होता है वही कलियुग में धर्म का मात्र एक पाद रह जाता है। सजनों ज्ञात हो कि कुदरत के खेल अनुसार अब कुछ समय पश्चात् यानि सतयुग में धर्म पुन: अपने चार पाद पर स्थिरता से खड़ा होने वाला है। इसलिए तो वर्तमान में भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए, सर्वप्रथम हर मानव को, धर्म की व्याख्या से परिचित कराना आवश्यक है। फिर धर्म का अर्थ बताते हुए उन्होंने कहा कि धर्म किसी वस्तु या व्यक्ति का वह मूल गुण या वृत्ति है जो उसमें सदा रहती है व कभी अलग नहीं होती। धर्म वह प्राकृतिक स्वभाव है जिस द्वारा हर कर्म पारलौकिक सुख की प्राप्ति के अर्थ से किया जाता है यानि यह वह कर्म है जिसका करना किसी सम्बन्ध, स्थिति अथवा गुण विशेष के विचार से उचित और आवश्यक होता है। अन्य शब्दों में हम इसे वह वृत्ति या आचरण भी कह सकते हैं जो लोक या समाज की स्थिति के लिए आवश्यक होता है व जिसके द्वारा समाज की रक्षा और सुख शांति में वृद्धि होने के साथ-साथ परलोक में भी उत्तम गति प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त धर्म परायणता उचित या अनुचित का विचार करने वाली वह चित्त वृत्ति भी कहलाती है जिसके प्रभाव से इंसान सत्-स्वभाव धारण कर सत्कर्म करता है व नीतिसंगत अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हुए, पूरे ईमान से सदाचार की राह पर चलता है और निर्विकारी कहलाता है। धर्म की इस महान महत्ता के दृष्टिगत ही सतवस्तु का कुदरती ग्रन्थ किसी भी परिस्थिति में अपना धर्म न हारने का व उस पर

अपना तन, मन, धन सब वारने का निर्देश दे रहा है। तत्पश्चात् श्री सजन जी ने वैश्विक स्तर पर युग पुरुषों की भांति धर्मानुकूल सकारात्मक स्वाभाविक परिवर्तन लाने हेतु सबको तत्पर होने का आवाहन दिया और कहा कि हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, हो तुसां भाई-भाई, सजनों मिल वर्तो न होवो कसाई, ओ सजनों मिल वर्तो। ऐसा ही हो इस हेतु उन्होंने अंत में वैश्विक स्तर पर हर शासक से प्रार्थना करते हुए कहा कि अविलम्ब हर मानव को बाल अवस्था से ही उसके यथार्थ धर्म सम्बन्धी आद् साहित्य से विधिवत् परिचित कराने का समुचित ढंग से प्रबन्ध करो ताकि हर मानव के धर्मरूपी रथ के रुके हुए पहिए को तत्त्व ज्ञान के उत्तम उपदेश तथा उसके व्यवहारिक प्रयोग द्वारा पुन: संचालित किया जा सके। जानो इस धर्म-चक्र-प्रवर्तन क्रिया से लाभ-आन्वित होने पर ही हर मानव परिपूर्णता से पुन:

धर्मधारी बन पाएगा और धर्म के सिद्धान्तों व नियमों के अनुसार सत्यता से आचरण करते हुए, एकता, एक अवस्था में ढल पाएगा। ए विध् उस पुण्यात्मा के लिए निर्विकारिता से अपने कुदरत प्रदत्त कर्त्तव्यों का समयबद्ध निर्वहन करने के पश्चात्, अंत निश्चित रूप से परमधाम पहुंच विश्राम को पाना सहज हो जाएगा और वह धर्मदृष्टि समभाव नजरों में कर समदर्शिता अनुसार परस्पर सजन भाव का व्यवहार करते हुए परोपकारी नाम कहाएगा।

विश्व समभाव दिवस के शुभ अवसर पर

नवें अंतर्राष्ट्रीय मानवता ई-आलम्पियाड की परीक्षा के परिणाम घोषित किए गए

सबकी जानकारी हेतु विश्व समभाव दिवस के शुभ अवसर पर, दिनाँक 7 सितम्बर 2023 को समभाव-समदृष्टि की महत्ता को दर्शाते एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुवात सतयुग दर्शन ट्रस्ट के मार्गदर्शक श्री सजन जी, सतयुग दर्शन ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी श्रीमती रेशमा गाँधी जी, सतयुग दर्शन संगीत कला की चेयरपरसन श्रीमती अनुपमा तलवार जी, सतयुग दर्शन के विशाल सभागार में दीप प्रज्ज्वलन कर के की। इस अवसर पर सतयुग दर्शन के विशाल सभागार में दिल्ली एन.सी.आर के जाने माने स्कूलों/कालेजों के प्रधानाचार्य/प्रोफेसरस/अध्यापकगण व अंतर्राष्ट्रीय मानवता-ई-ओलम्पियाड के विजेताओं के अतिरिक्त, बतौर चीफ गेस्ट, श्री कंवरपाल गुर्जर, शिक्षा एवं पर्यटन मंत्री जी, गेस्ट आफॅ आनर के रूप में लुध्याना, करनाल, रूपनगर व फरीदाबाद आदि के डी0 ई0 ओ0, विभिन्न विद्यालयों के डायरेक्टर/चेयरपरसन, एन0एस0आई0सी के

एम0डी श्री एच0 पी0 कुमार, सहायक पुलिस आयुक्त श्री सुधीर तनेजा आदि भी उपस्थित थे।

सबकी जानकारी हेतु इस अंतर्राष्ट्रीय मानवता ओलम्पियाड के अंतर्गत, स्कूली स्तर पर पाँचवी से आठवीं तक के लेवल में पानीपत हिमगीरी पब्लिक स्कूल के आयुष ने व नौंवी से बारवहीं तक के लेवल में फरीदाबाद, गवर्मेण्ट सीनियर सैकन्डरी स्कूल की राखी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। बेसट परफोरमेन्स की स्कूल ट्राफी में क्रमश: प्रथम

स्थान महर्षि दयानंद पब्लिक स्कूल, करनाल, दिल्ली पब्लिक स्कूल रानीपुर हरिद्वार ने द्वितीय स्थान, दिल्ली के बाल भारती पब्लिक स्कूल, गंगाराम ने तृतीय स्थान प्राप्त किया है। कालेज स्तर पर प्रिंस खुराना, गंगोह ने प्रथम स्थान, मुज्जफरनगर के सिद्धार्थ ने द्वितीय स्थान एवं लुध्याना की आंचल ने तृतीय स्थान प्राप्त किया है।

व्यक्तिगत स्तर पर हुई परीक्षा में लुध्याना के राघवेन्द्र ने प्रथम स्थान, दिल्ली की साक्षी ने द्वितीय स्थान एवं करनाल के यश ने तृतीय स्थान प्राप्त किया है। इन सब विजेताओं को टी0वी, स्मार्टफोन इत्यादि प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त अन्य हजार विजेताओं को अन्य आकर्षण इनाम इत्यादि प्रदान किए गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *