विनोद वैष्णव | सैक्टर-2, पलवल स्थित टैगोर पब्लिक स्कूल के प्रांगण में 16 दिसंबर, 2023 (शनिवार) को वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता का रंगारंग कार्यक्रमों सहित भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती कपिला इंदु जी द्वारा की गई। कक्षा प्रथम-ए की छात्रा पावनी जैन की दादी माँ सुनीता जैन और कक्षा तीसरी के छात्र दियान सिंह के दादा जयवीर सिंह कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर टैगोर अकादमी पब्लिक स्कूल, बल्लबगढ़ के प्रधानाचार्य श्री ओंकार सिंह शेखावत तथा नर्सरी से तीसरी कक्षा के अभिभावकगण भी मौजूद थे।विद्यालय की बैंड टीम द्वारा आगंतुकों की शानदार अगुवाई की गई। इसके बाद ग्रीन ब्रिगेड, मोरल वेल्यू ब्रिगेड, नेशन बिल्डिंग ब्रिगेड तथा हैप्पी स्कूल ब्रिगेड द्वारा मार्च पास्ट किया गया। इस कार्यक्रम की सबसे प्रशंसनीय बात यह थी कि मुख्य अतिथि उपस्थित अभिभावकों में से ही चुने गए | कार्यक्रम का शुभारंभ स्कूल की प्रधानाचार्या द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। तदुपरांत मुख्य अतिथियों द्वारा ध्वजारोहण किया गया। प्रांगण में उपस्थित सभी दर्शकों ने राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देते हुए राष्ट्रगान गाया।खेल प्रतियोगिताओं के साथ ही नन्हें-मुन्ने बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शानदार प्रस्तुति दी, जिसमें क्रेजी बेल रेस, नटमेग रेस, चार्ली-चेपलिन रेस, आदि विभिन्न रोमांचकारी रेस प्रतियोगिताओं का प्रदर्शन किया गया।अपने बच्चों को देखकर अभिभावकों की आँखें खुशी से सजल हो गईं। उन्होंने प्रत्येक प्रतिभागी का करतल ध्वनि से हौंसलावर्धन किया। विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता छात्र-छात्राओं को मेडल और सर्टिफिकेट देकर पुरस्कृत किया गया।टैगोर ग्रुप ऑफ स्कूल की निदेशिका मनोरमा अरोड़ा ने कार्यक्रम के सफल आयोजन पर सभी को शुभकामनाएँ दीं। साथ ही साथ उन्होंने अभिभावकों का टैगोर परिवार की ओर से हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए उनके सहयोग की भी सराहना की और कहा कि भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा ताकि विद्यार्थियों की प्रतिभा को निखारा जा सके। उनका मानना है कि सकारात्मक सोच रखते हुए दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर असंभव कार्यों को भी संभव बनाया जा सकता है।प्रधानाचार्या ने उपस्थित छात्र-छात्राओं एवं अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि खेलों में दुनिया बदलने की ताकत है। खेल दुनिया के प्रेरणा स्त्रोत भी होते हैं व खिलाड़ी के मन में जुनून और अनुशासन पैदा करते हैं। एक बार फिर टैगोर पब्लिक स्कूल ने साबित कर दिया है कि वह छात्रों के सर्वांगीण विकास के प्रति पूर्णतः समर्पित है।
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फरीदाबाद स्थित अमृता अस्पताल और आईएपी ने जन्मजात हृदय रोग पर सीएमई का आयोजन किया
फरीदाबाद(vinod vaishnav) देश के सबसे बड़े मल्टी स्पेशियलिटी निजी अस्पताल, फरीदाबाद स्थित अमृता हॉस्पिटल ने फरीदाबाद चैप्टर की इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) के सहयोग से जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) पर एक सीएमई का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में फरीदाबाद, बल्लभगढ़ और पलवल के 25 से अधिक बाल रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया। अमृता अस्पताल के प्रमुख विशेषज्ञों ने दर्शकों को संबोधित किया, जिसमें बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी और वयस्क जन्मजात हृदय रोग के हेड डॉ. एस राधाकृष्णन और बाल चिकित्सा और जन्मजात हृदय सर्जरी के हेड डॉ. आशीष कटेवा शामिल थे। फरीदाबाद चैप्टर की इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अध्यक्ष डॉ. अनिल नागे और सचिव डॉ. धनसुख कुमावत भी मंच पर मौजूद थे। अमृता अस्पताल के बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी और वयस्क जन्मजात हृदय रोग विभाग के हेड डॉ. एस राधाकृष्णन सीएचडी के लक्षणों के बारे में बात की और साथ ही सर्जिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता कब होती है इस बारे में भी बताया। उन्होंने कहा, “पश्चिमी देशों में 95% की तुलना में, भारत में अभी भी जन्मजात हृदय रोग वाले 2% से कम बच्चों का गर्भ में निदान किया जाता है। जन्म के बाद निदान होने पर भी बच्चे बेहद क्रिटिकल स्टेज में हॉस्पिटल पहुंचते हैं, उस वक़्त उनकी जान बचाना किसी चुनौती से कम नहीं होता है। फीटल ईसीएचओ और ईसीएचओ कार्डियोग्राफी जैसी तकनीकों से अब हम सीएचडी का आसानी से निदान कर पाते हैं। बाल रोग विशेषज्ञों को सीएचडी के चेतावनी संकेतों के बारे में शिक्षित करने और इसे जल्दी पहचानने के तरीके की तत्काल आवश्यकता है। इस सीएमई का आयोजन उसी दिशा में एक कदम है।” अमृता अस्पताल के बाल चिकित्सा और जन्मजात हृदय सर्जरी के हेड डॉ. आशीष कटेवा ने अपने बच्चे में सीएचडी का पता चलने पर माता-पिता द्वारा अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के बारे में बात की। उन्होंने कहा, “जब माता-पिता को उनके बच्चे में सीएचडी का पता चलता है, तो उनके दिमाग में कई सवाल आते हैं। ये सवाल बीमारी से संबंधित होते हैं, उनके बच्चे को यह क्यों हुआ, क्या वे इसे रोकने के लिए कुछ कर सकते थे, क्या सीएचडी उनके दुसरे बच्चों को भी हो सकता है, क्या होगा अगर बच्चे की सर्जरी नहीं होती है, सर्जरी के जोखिम, सीएचडी के साथ उनके बच्चे की जिंदगी कैसी होगी आदि। बाल रोग विशेषज्ञ के लिए उनकी चिंताओं को सहानुभूति के साथ दूर करना बहुत आवश्यक है। डॉ कटेवा ने आगे कहा, भारत में सबसे ज्यादा सीएचडी मामले सामने आते हैं, जहां हर साल 200,000 बच्चे इस बीमारी से पीड़ित पैदा होते हैं। हालांकि इनमें से बड़ी संख्या में बच्चों का पता नहीं चल पाता है और इसलिए उनका इलाज नहीं किया जाता है, हम बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी और कार्डियक सर्जरी के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहे हैं। जन्मजात हृदय दोष के बारे न केवल जनता के बीच बल्कि चिकित्सकों के बीच भी में काफी गलत जानकारी है, जो इस बीमारी के इलाज में एक बड़ी चुनौती है। इस बातचीत का उद्देश्य उन सवालों का जवाब देना था जो माता-पिता और उपचार कर रहे बाल रोग विशेषज्ञ के पास सीएचडी के कारणों और रोकथाम, उपचार के परिणामों और सर्जरी के बाद लॉन्ग-टर्म में रोग के निदान के बारे में हो सकते हैं। फरीदाबाद चैप्टर की इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अध्यक्ष डॉ. अनिल नागे ने कहा कि सीएमई बाल रोग विशेषज्ञों को सीएचडी के बारे में शिक्षित करने के लिए आयोजित किया गया था, विशेष रूप से खतरनाक स्थितियों के लिए जिन्हें तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, “भारत में, अधिकांश बाल हृदय देखभाल सुविधाएं शहरों में हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में सीएचडी के उचित निदान और उपचार को मुश्किल बनाती हैं।सीएचडी की बेहतर समझ के लिए बाल रोग विशेषज्ञों के उचित प्रशिक्षण के साथ हमें भारत के सभी हिस्सों में इस तरह की और सुविधाओं की आवश्यकता है। अमृता अस्पताल के परिसर में एक अत्यधिक विशिष्टताओं के साथ बच्चों का अस्पताल है जो मातृ, प्रजनन और भ्रूण चिकित्सा और बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी, हृदय शल्य चिकित्सा और प्रत्यारोपण, रुमेटोलॉजी, एंडोक्रिनोलॉजी, पल्मोनोलॉजी, न्यूरोसाइंसेस, बाल चिकित्सा आनुवंशिकी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, बाल चिकित्सा आर्थोपेडिक्स और बाल चिकित्सा और भ्रूण की सर्जरी सहित सभी बाल चिकित्सा उप-विशेषताओं से परिपूर्ण है।
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