डॉ. भारद्वाज ‘अश्क’ के काव्य- संग्रह ‘मुकुल- माला’ का लोकार्पण

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव) : फरीदाबाद के विख्यात साहित्यकार, कवि एवं शिक्षाविद् डॉ. श्रद्धा निकुंज भारद्वाज ‘अश्क ‘ लिखित एवं देश के प्रतिष्ठित प्रभात प्रकाशन, दिल्ली द्वारा प्रकाशित काव्य संग्रह ‘मुकुल-माला ,कुछ मुक्तक कुछ शे’र का भव्य लोकार्पण ऐक्लान कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी ,फ़रीदाबाद के भव्य सभागार में किया गया ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रभात प्रकाशन के प्रमुख पवन अग्रवाल और कार्यक्रम अध्यक्ष देश के जाने माने कवि एवं गीतकार और ‘काव्य नक्षत्र’ के नाम से विख्यात दिनेश रघुवंशी रहे । विशिष्ठ अतिथि के रूप में विनोद मलिक,संस्थापक अध्यक्ष फ़रीदाबाद साहित्यिक एवं सांस्कृतिक केंद्र और वी के शर्मा ,आई.जी.(सेवा निवृत्त) ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ायी । काव्य संग्रह की समीक्षा विख्यात ग़ज़लकारा, कवयित्री और लेखिका उर्वशी अग्रवाल ‘उर्वी ‘ और विवेचना प्रसिद्ध ग़ज़लकार प्रमोद शर्मा ‘असर’ ने की । इसके अतिरिक्त इस बेहतरीन काव्य संग्रह के विषय में विचार रखने के लिए साहित्य जगत से अनेक हस्तियां उपस्थित रहीं । कार्यक्रम का कुशल संचालन श्री बृज माहिर जी ने किया ।

कार्यक्रम का आरंभ देवेन्द्र शर्मा ‘देव’ के सरस्वती वंदना से आरंभ हुआ ।पुस्तक लोकार्पण से पूर्व डॉ. भारद्वाज ‘अश्क ‘ने सभी अतिथियों का संक्षिप्त परिचय के साथ विधिवत सम्मान किया । सम्मान समिति में डॉ. (प्रो. )डॉ. उषा पंडित , सुषमा शर्मा टी.सी.पाराशर ,सी.पी.शर्मा सुभाष पाँचाल सी.ए.एवं डॉ. आनंद मोहन तिवारी मुख्य रहे । जिन वक्ताओं ने काव्य संग्रह पर अपने विचार रखे उन में परवाज़ ग़ज़ल संस्था के अध्यक्ष संस्थापक अजय अज्ञात ,साहित्य संगीत कला सेतु के अध्यक्ष लेखक हुकम सिंह दहिया ‘जिज्ञासु ,हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ के प्राचार्य डॉक्टर पशुपति नाथ मिश्र, प्रसिद्ध संस्कृत लेखक प्रो. डॉ .राजकुमार मिश्र और नवोदित कवयित्री कोमल शर्मा रहे । कार्यक्रम की मेज़बानी और धन्यवाद प्रस्ताव कार्यक्रम की मेज़बान और विश्वभारती शिक्षा केंद्र की सचिव डॉ .(श्रीमती )प्रवीण भारद्वाज ने की।

कार्यक्रम की व्यवस्था विश्व भारती शिक्षा केंद्र के प्रधानाचार्य विष्णु कुमार वशिष्ठ और उच्च भाग के अध्यक्ष श्री शैलेन्द्र मिश्र ने की । इस अवसर पर शहर के अनेक गणमान्य व्यक्ति एवं साहित्य से जुड़ी अनेक हस्तियां मौजूद थीं ।निश्चय ही यह एक गरिमामय और शानदार कार्यक्रम रहा।

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