डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय में ‘भारत में संवैधानिक विकास का इतिहास’ विषय पर विशिष्ठ व्याख्यान

फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय में इतिहास विभाग द्वारा ‘भारत में संवैधानिक विकास का इतिहास’ विषय पर एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को भारत में संवैधानिक विकास से अवगत कराना रहा। मुख्य वक्ता के रूप में उड़ान आई.ए.एस. अकादमी की डायरेक्टर डॉ. जयश्री चौधरी रही।

डॉ. जयश्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में संविधान के विकास का एक लंबा इतिहास रहा है जो 1764 के बक्सर के युद्ध के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का एक राजनीतिक संस्था के रूप में बदल जाने के साथ शुरू हुआ | बंगाल में ईस्ट इंडिया कंपनी के शोषण की चर्चा ब्रिटेन की पार्लियामेंट तक पहुंची और परिणाम स्वरुप ब्रिटिश सरकार ने भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के अफेयर्स को नियमित करने के लिए अधिनियम बनाने शुरू कर दिए।

इसके बाद डॉ. जयश्री ने भारत में संविधान निर्माण की प्रक्रिया में 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट, 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट, 1813 का अधिनियम, 1835 का चार्टर एक्ट, 1858 का अधिनियम, 1861 का काउंसिल एक्ट, 1909 का मार्ले मिंटो अधिनियम, 1919 का मांटेंगयु चे र्म्सफोर्ड सुधार अधिनियम और 1935 का भारत सरकार अधिनियम के बारे में विस्तार से बताया | उन्होंने यह भी बताया कि वास्तव में 1935 के भारत सरकार अधिनियम का लगभग दो तिहाई हिस्सा आज भी हमारे वर्तमान संविधान का हिस्सा है।

महाविद्यालय की कार्यकारी प्राचार्या डॉ. अर्चना भाटिया ने अंग्रेजी शासन की शोषणकारी नीतियों की निंदा की। यह व्याख्यान संपूर्ण कार्यक्रम की आयोजक कमलेश सैनी द्वारा कला संकाय की विभागाध्यक्ष डॉ शिवानी तंवर व कला संकाय डीन डा. सुनिति अहुजा की देख-रेख में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र ढुल, रेखा सिंह, ममता कुमारी, शिवानी, नेत्रपाल सेन व अन्य शिक्षक गणों के साथ लगभग सौ विद्यार्थी मौजूद रहे।

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