बीके अस्पताल में शुरू हुआ ओरल हेल्थ पखवाड़ा : वरिष्ठ दंत चिकित्सक डॉ. वंदना अरोड़ा

फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : बीके अस्पताल में 1 से 15 सितंबर तक दांतों का ओरल हेल्थ पखवाड़ा आयोजित किया गया। इस पखवाड़े का मुख्य उद्देश्य लोगों में दांतों और मुख स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना था। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ दंत चिकित्सक डॉ. वंदना अरोड़ा ने की। डॉ. वंदना अरोड़ा ने कहा कि ओरल हेल्थ केवल दांतों की सफाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। उन्होंने बताया कि दांतों की उचित देखभाल और समय-समय पर जांच आवश्यक है ताकि गंभीर बीमारियों से बचा जा सके।

मुँह के कैंसर की रोकथाम :

वरिष्ठ दंत चिकित्सक डॉ. वंदना अरोड़ा ने मुँह के कैंसर की रोकथाम पर विशेष जोर दिया। उन्होंने बताया कि तंबाकू, गुटखा, और शराब का सेवन मुँह के कैंसर का प्रमुख कारण है, जिसे जागरूकता और नियमित दंत जांच के माध्यम से रोका जा सकता है। पखवाड़े के दौरान मुँह के कैंसर के शुरुआती लक्षणों की पहचान और तंबाकू छोड़ने के लिए लोगो को जागरूक किया जा रहा है , जिससे लोग इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक हो सकें।

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पखवाड़े के दौरान मुँह के कैंसर के शुरुआती लक्षणों जैसे मुँह में घाव, सफेद या लाल धब्बे, और लंबे समय तक ठीक न होने वाले छालों की पहचान के बारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर लोगों को तंबाकू छोड़ने और स्वस्थ ओरल हाइजीन अपनाने के लिए भी कहा गया।

कैंसर से पहले के लक्षण (प्री-कैंसर) :

डॉ. अरोड़ा ने यह भी बताया कि मुँह के कैंसर से पहले के लक्षण (प्री-कैंसर) को सही समय पर पहचान कर उपचार किया जा सकता है, जिससे कैंसर की गंभीरता को रोका जा सकता है। पखवाड़े के दौरान मुँह के कैंसर के शुरुआती लक्षणों की पहचान और तंबाकू छोड़ने के लिए काउंसलिंग दी गई, जिससे लोग इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक हो सकें।

इसके साथ ही उन्होंने कहा की प्री-कैंसर वह अवस्था है जिसमें मुँह में ऐसे बदलाव होते हैं, जो आगे चलकर कैंसर का रूप ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि समय रहते इन परिवर्तनों की पहचान और उचित उपचार से कैंसर को पूरी तरह से रोका जा सकता है। इसके लिए नियमित दंत परीक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि प्री-कैंसर की पहचान होने पर जीवनशैली में बदलाव, जैसे तंबाकू और शराब का त्याग, और ओरल हाइजीन को बेहतर बनाकर स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। इस तरह के उपायों से मुँह के कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

डॉ. अरोड़ा ने बताया कि इस तरह के आयोजनों से लोगों को दांतों की समस्याओं को नजरअंदाज न करने की प्रेरणा मिलती है और समय पर इलाज से गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है। इस मौके पर मुख्य रूप से डॉ रिचा , डॉ अमन , डॉ मीनू और डॉ धीरज भी उपस्थित रहे। अस्पताल प्रशासन ने भी इस पहल की सराहना की और भविष्य में भी ऐसे स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करने की बात कही।

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