छात्रों पर मानसिक दबाव : अभिभावकों की अपेक्षाएं और तनावमुक्त शिक्षा की आवश्यकता

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव) : आज के दौर में शिक्षा का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। हर अभिभावक चाहता है कि उनके बच्चे अच्छे अंक लाएं और सफलता की ऊंचाइयों को छुएं। हालांकि, यह आकांक्षा कभी-कभी छात्रों पर मानसिक दबाव का रूप ले लेती है। अच्छे अंक लाने का दबाव, आर्थिक समस्याएं जैसे फ़ीस न भर पाना, कम उपस्थिति, और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं छात्रों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।


अभिभावकों का दबाव और उसके परिणाम

अभिभावकों द्वारा बच्चों पर अत्यधिक अपेक्षाएं रखना बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। बच्चों को निरंतर अच्छे अंक लाने की हिदायतें, उनकी क्षमता की तुलना दूसरों से करना और असफलता को स्वीकार न करना बच्चों को आत्मविश्वास की कमी और मानसिक दौरे जैसी समस्याओं का शिकार बना सकता है। अधिक दबाव की स्थिति में छात्रों में थकान, ध्यान न लगना, और उपस्थिति में कमी जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। कई बार, फ़ीस सबमिट न होने की चिंता भी बच्चों में असुरक्षा की भावना को जन्म देती है।

छात्रों को तनाव से बचाने के उपाय

1) अभिभावकों का सहायक रवैया:
अभिभावकों को बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए। उनकी क्षमताओं को समझते हुए उन्हें उनके लक्ष्यों को हासिल करने में मार्गदर्शन देना चाहिए। निरंतर आलोचना की जगह सराहना और सहायता का माहौल बनाना चाहिए।

2) स्वास्थ्यकर दिनचर्या: छात्रों को नियमित दिनचर्या अपनाने के लिए प्रेरित करें, जिसमें पर्याप्त नींद, समय पर भोजन, और व्यायाम शामिल हो। यह उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत को मजबूत बनाएगा पढ़ाई के साथ ।

3)आराम: परीक्षा की तैयारी करते समय छोटे-छोटे ब्रेक लेने से बच्चों का मनोबल और एकाग्रता बढ़ती है।

4)तनाव प्रबंधन: ध्यान, योग, और प्राणायाम जैसी तकनीकों का अभ्यास करने से बच्चे तनाव को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं।

5)मूल्य आधारित शिक्षा: बच्चों को समझाएं कि शिक्षा केवल अंकों तक सीमित नहीं है। उन्हें नैतिकता, ज्ञान, और कौशल के महत्व को भी समझना चाहिए।

6)सकारात्मक संवाद: अभिभावक और बच्चे के बीच खुला संवाद होना चाहिए, ताकि बच्चे अपनी चिंताओं को साझा कर सकें।

👉🏻अभिभावकों की अपेक्षाएं:

अभिभावक अपने बच्चों की सफलता को लेकर स्वाभाविक रूप से चिंतित रहते हैं। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे उत्कृष्ट ग्रेड प्राप्त करें, प्रतिष्ठित कॉलेजों में दाखिला लें और एक सफल करियर बनाएं। हालांकि, इन अपेक्षाओं का अत्यधिक भार बच्चों के मानसिक संतुलन को बिगाड़ सकता है। जब अभिभावकों की अपेक्षाएं बच्चों की क्षमताओं और रुचियों के विपरीत होती हैं, तो यह तनाव का कारण बन सकती हैं।

👉🏻शिक्षा प्रणाली का दबाव:

आज की शिक्षा प्रणाली को मुख्य रूप से परीक्षाओं और असाइनमेंट्स पर केंद्रित किया गया है। परीक्षा का डर, परिणाम की चिंता और लगातार प्रतिस्पर्धा छात्रों में तनाव और निराशा का कारण बनते हैं। शिक्षा प्रणाली को अधिक लचीला और रचनात्मक बनाने की दिशा में ध्यान देना आवश्यक है।

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👉🏻समाज की उम्मीदें:

समाज भी छात्रों पर सफलता और स्थायित्व की उम्मीदें थोपता है। समाज अक्सर बच्चों को उनकी उपलब्धियों के आधार पर परखता है, जो उनके आत्मसम्मान को प्रभावित करता है। यह दबाव छात्रों को मानसिक तनाव और असुरक्षा की स्थिति में डाल सकता है।

छात्रों पर मानसिक दबाव एक गहन और व्यापक समस्या है। इस समस्या को हल करने के लिए हमें अभिभावकों की अपेक्षाओं को यथार्थवादी बनाना, शिक्षा प्रणाली में बदलाव करना और समाज की सोच में परिवर्तन लाना होगा। तनावमुक्त शिक्षा न केवल छात्रों को मानसिक रूप से मजबूत बनाएगी, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और खुशहाल जीवन जीने का अवसर भी प्रदान करेगी।

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