डीएवी शताब्दी महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार एवं साहित्यकार सम्मान कार्यक्रम

फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : डीएवी शताब्दी महाविद्यालय में दिनांक 19 मार्च 2025 को उच्चतर शिक्षण संस्थान पंचकूला द्वारा स्वीकृत और हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के आर्थिक सहयोग से महाविद्यालय के अंग्रेजी एवं हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार एवं साहित्यकार सम्मान का आयोजन किया गया। ‘वैश्वीकरण के दौर में साहित्य : मीडिया और बाजारवाद’ विषय की चार श्रेणियों में देश-विदेश के विभिन्न महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के सौ से भी ज्यादा शिक्षकों व शोधार्थियों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किये। दुबई, कनाडा, पोलैंड, मॉरीशस व देश के दूरस्थ विश्वविद्यालयों के शोधार्थी ऑनलाइन माध्यम से इस सेमिनार से जुड़े | बीस से ज्यादा साहित्यकारों को उनकी साहित्यिक कृतियों लिए प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। इस आयोजन में तीन पुस्तकों का विमोचन भी साहित्यकार मंडली द्वारा किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. अर्चना भाटिया ने बताया कि वैश्वीकरण के इस दौर में जब सभी जगह बाजारवाद हावी हो रहा है तो मीडिया और साहित्यकारों के ऊपर मानव, मानवता और मानवीय मूल्यों को बचाने की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा है।

ऑनलाइन माध्यम से जुड़े डीएवी मैनेजमेंट कमेटी के वाईस प्रेजिडेंट स्पोरी सर ने अपने व्यक्तव्य में सभा में उपस्थित सभी विद्वानों का स्वागत किया व साहित्य और समाज का अटूट संबंध बताया। बीज भाषण में डॉ. प्रवीण वर्मा ने भूगोलीकरण, उदारीकरण, निजीकरण को जोड़ते हुए वैश्वीकरण के साथ साहित्य जगत पर प्रकाश डाला। ग्लोबल विश्वविद्यालय नागालैंड के चांसलर श्याम नारायण पांडे इस सेमिनार के मुख्य अतिथि रहे, जिन्होंने वैश्वीकरण के दौर को वरदान भी और अभिशाप भी करार दिया। उन्होंने कहा कि आज का बाजारवाद अच्छा साहित्य नहीं चाहता बल्कि जो बाजार में टिक सके वैसा साहित्य चाहता है और ये अपने आप में बहुत बड़ी समस्या है।

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मीडिया अगर सही दिशा में कार्य करे तो इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है। झारखण्ड स्थित रांची विश्विद्यालय के पूर्व चेयरमैन व विशिष्ट अतिथि जंग बहादुर पाण्डेय ने रामायण, गीता, देवता, दानव जैसे प्रसंगों के माध्यम से साहित्य को परिभाषित करते हुए कहा कि जो सबके हित की बात करे उसे साहित्य कहा जा सकता है। रोहतक विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ जयवीर हुड्डा ने आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के बढ़ते इस्तेमाल और इसके द्वारा सृजित होने वाली साहित्यिक कृतियों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की। दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. पूरनचंद टंडन ने वैश्वीकरण की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए मीडिया को टूल तथा साहित्य को चिंतन का माध्यम बताया। कनाडा से ऑनलाइन मोड में जुडी डॉ. स्नेह ठाकुर ने ‘लोकनायक राम’ नामक अपनी पुस्तक में अहिल्या प्रसंग के माध्यम से अपनी बात रखी। दुबई से जुड़ीं डॉ आरती लोकेश ने वैश्वीकरण को पूंजीवाद की संज्ञा दी।

इस मौके पर तीन पुस्तकों का विमोचन किया गया। कहानी संग्रह पुस्तक ‘पूर्ण विराम नहीं’ की लेखिका डॉ. ममता कुमारी रही | इस संगोष्ठी में डॉक्टर ममता कुमारी की पुस्तक ”पूर्ण विराम नहीं’, डॉ. प्रियंका अंगिरस एवं डॉ. ममता कुमारी ‌द्वारा संपादित पुस्तक ‘वैश्विक युग में नारी का अस्तित्व और साहित्य’ तथा डॉ. रश्मि, डॉ. निशा अग्निहोत्री, नेहा कथूरिया और जाकिर हुसैन द्वारा संयुक्त रूप से लिखित ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ का विमोचन हुआ। संगोष्ठी की संरक्षिका महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. अर्चना भाटिया, संगोष्ठी निदेशक रूप में इंडियन जर्नल ऑफ़ सोशल कंसर्नस के प्रधान संपादक डॉ. हरिशरण वर्मा, संयोजक कला विभाग डीन डॉ. सुनीति आहूजा व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. ममता कुमारी, कार्यक्रम सचिव के रूप में डॉ. जितेन्द्र ढुल, डॉ. प्रियंका अंगिरस व डॉ. योगेश शर्मा शामिल रहे | वहीं परामर्श समिति में कला संकाय विभागाध्यक्ष डॉ. शिवानी तंवर, फिजिकल एजुकेशन विभागाध्यक्ष डॉ. नरेंद्र दुग्गल, ‘तरंग’ हरियाणा की मुख्य संपादक ज्योति संग व प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. हरेराम समीप रहे। इस आयोजन में महाविद्यालय के सभी शिक्षकों व गैर शिक्षक कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा |

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