सत्युग दर्शन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में भारतीय शास्त्रीय संगीत का भव्य उत्सव

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फरीदाबाद (विनोद वैष्णव) : सत्युग दर्शन इंस्टीट्यूट में सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र के भव्य उद्घाटन के उपरांत, 25 मार्च 2025 को सत्युग दर्शन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी ने स्पीक मैके एसआरएफ और सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र के सहयोग से भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध विरासत को समर्पित एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली संगीतमयी संध्या का आयोजन किया। इस अवसर पर विख्यात सरोद वादक उस्ताद अबीर हुसैन साहब और तबला वादन में सिद्धहस्त पं. मिथलेश झा ने अपनी अप्रतिम प्रस्तुति से श्रोताओं को भारतीय संगीत की आत्मीय दुनिया में अविस्मरणीय अनुभव प्रदान किया।

संस्थान के प्राचार्य डॉ. शैलेंद्र कुमार, सत्युग दर्शन संगीत कला केंद्र के प्राचार्य दीपेंद्र कांत, सत्युग दर्शन विद्यालय के प्राचार्य अरुण शर्मा ने कार्यक्रम में पधारे अतिथियों का स्नेहपूर्वक स्वागत किया। इस संगीतमयी आयोजन में दोनों संस्थानों के फैकल्टी मेंबर्स और छात्र-छात्राओं ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई।

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कार्यक्रम की शुरुआत संचिता (फैकल्टी, डिपार्टमेंट ऑफ मैनेजमेंट स्ट्डीज)द्वारा आध्यात्मिक वातावरण में की गई, जिसमें दीप प्रज्वलन के पश्चात शांति और मंगलकामना हेतु सरस्वती वंदना का गायन किया गया। इसके बाद दो महान संगीतकारों की भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उस्ताद अबीर हुसैन साहब ने अपनी सरोद की मधुर धुनों और भावपूर्ण रागों से श्रोताओं को संगीतमयी यात्रा पर ले गए। वहीं, पं. मिथलेश झा ने अपनी तबला वादन की विलक्षण कला का प्रदर्शन किया, जिससे संगीत में लयबद्धता और तीव्रता जुड़ गई। दोनों कलाकारों की समन्वित प्रस्तुति ने एक अविस्मरणीय वातावरण बनाया, जिससे हर कोई भारतीय शास्त्रीय संगीत की अनंत सुंदरता की सराहना करने को मजबूर हो गया।

इस अवसर पर सत्युग दर्शन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के प्राचार्य डॉ. शैलेंद्र त्यागी जी ने कहा, “संगीत, संस्कृति और विरासत का उत्सव मनाना हमारे संस्थान की सांस्कृतिक प्रतिबद्धता का हिस्सा है। सत्युग दर्शन संगीत कला केंद्र के उद्घाटन के बाद यह पहला बड़ा सांस्कृतिक आयोजन था, जिसने न केवल छात्रों को भारतीय शास्त्रीय संगीत की भव्यता से परिचित कराया, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने के हमारे संकल्प को भी सशक्त किया।”

इसके पश्चात, सत्युग दर्शन संगीत कला केंद्र के प्राचार्य दीपेंद्र कांत ने आभार प्रदर्शन करते हुए सभी कलाकारों, आयोजकों और उपस्थित श्रोताओं का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन भारतीय शास्त्रीय संगीत की विरासत को संजोने और युवा पीढ़ी को इससे जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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