एमम वी एन विश्वविद्यालय प्रांगण में युवाओं की राष्ट्र निर्माण में एवं शिक्षण संस्थाओं की भूमिका पर विचार संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया

( विनोद वैष्णव )|  एम वी एन विश्वविद्यालय प्रांगण में युवाओं की राष्ट्र निर्माण में एवं शिक्षण संस्थाओं की भूमिका पर विचार संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं मां भारती की वंदना मयंक, हेमंत द्वारा एवं दीप प्रज्वलन कर के किया। कार्यक्रम को संचालित करते हुए डॉ पवन शर्मा ने बताया कि शिक्षा के साथ-साथ भारतीय संस्कारों पर बल देना चाहिए क्योंकि संस्कार ही पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते हैं और हमें अगर अपने राष्ट्र को आगे बढ़ाना है तो युवाओं में संस्कारों को जगाना पड़ेगा।इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो (डॉ) जे.वी देसाई ने बताया कि किसी भी समाज की स्थिति राष्ट्र में रहने वाले युवाओं की शक्ति से पता चलती है, जहां बुजुर्गों का अनुभव और युवाओं की शक्ति मिलती है वहां राष्ट्र की उन्नति को कोई नहीं रोक सकता है। भारत आज के समय में सर्वाधिक युवा शक्ति रखता है जिससे वह विश्व में एक आदर्श स्थापित करने की क्षमता रखता है।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ सुरेंद्र पाल, सह-प्रांत प्रचारक हरियाणा ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि युवा ही वह माध्यम है जिससे हम विश्व गुरु बन सकते हैं क्योंकि हमारी मिट्टी, सभ्यता, समाज और संस्कारों में वह क्षमता है जिससे भारत राष्ट्र आने वाले समय में विश्व गुरु बन कर मार्गदर्शन कर सकता है। उन्होंने बताया कि हमारे यहां तीन महाग्रंथ रामायण, महाभारत व गीता है। जिसमें रामायण में मर्यादाओं की उच्चतम सीमा को बताया है,महाभारत में समाज में रहने वाले विभिन्न प्रकार के लोगों को बारे में बताया है और अंत में गीता में बताया है कि मनुष्य संसार के चक्र में अपना मार्ग कैसे चुन सकता है। इस प्रकार आज के युवाओं को भारतीय संस्कृति व परंपरा से भी अवगत करना होगा क्योंकि लॉर्ड मेकाले ने ब्रिटिश पार्लियामेंट में 2 फरवरी 1835 को यह वक्तव्य दिया कि कि अगर भारत को गुलाम बनाए रखना है तो वहां की शिक्षा पद्धति को भ्रमित करना होगा इसी सिद्धांत ने आज तक शिक्षा में भ्रांतियां उत्पन्न की हैं। अतः युवाओं को सत्य से अवगत कराते हुए जागृत करना ही होगा। कार्यक्रम के समापन पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ राजीव रतन ने सभी गणमान्य लोगों का धन्यवाद किया और कहा स्वामी विवेकानंद ने जो संभाषण शिकागो सर्वधर्म सम्मेलन में दिया था वह आज भी भारत राष्ट्र को  विश्व गुरु के रुप में स्थापित किए हुए है।इस अवसर पर डॉ जय शंकर प्रसाद, डॉ राहुल वार्ष्णेय, डॉ प्रताप सिंह, मुकेश सैनी, तरुण विरमानी, दीपक मिश्रा, चरण सिंह, सुभाष सिंह, छत्रपाल, वेद (जिला कार्यवाहक पलवल), विक्रांत (जिला प्रचारक पलवल), सुरेंद्र (महानगर प्रचारक फरीदाबाद) पृथ्वीराज (जिला विद्यार्थी प्रमुख हरियाणा), योगेश कौशिक आदि उपस्थित थे।

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