‘जल है तो कल है, संरक्षण ही इसका हल है” पर MVN University में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

होडल (विनोद वैष्णव ) | एम वी एन विश्वविद्यालय पलवल में जल संरक्षण विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें विश्वविद्यालय के सभी विभागों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष एवं छात्र- छात्राओं ने प्रतिभाग किया ।कार्यशाला के शुरुआत में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जे.वी देसाई ने जल के महत्व को बताते हुए कहा कि धरती पर सभी जीवित प्राणियों के लिए जल अमृत के समान है, जल के बिना धरती पर किसी भी प्राणी का जीवन संभव नहीं है। अतः भावी पीढ़ी के जीवन के लिए जल संरक्षण अत्यंत ही आवश्यक है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि, जल है तो कल है संरक्षण ही इसका हल है।इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ राजीव रतन ने कहा कि हमारी धरती पर वैसे तो 70% जल ही है लेकिन मनुष्य के लिए पीने लायक जल केवल 1% ही है जो कि हमें भूमिगत जल, नदियों, तालाबों और वर्षा के पानी से उपलब्ध होता है। वर्तमान समय में जल के अंधाधुंध दोहन और वर्षा की कमी के कारण भूमिगत जल में कमी आ गई है जिसके कारण पूरे विश्व में पानी की किल्लत हो गई है। आज मनुष्य द्वारा जो पीने लायक जल है, उसे भी लगातार प्रदूषित किया जा रहे हैं जो कि पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है। इसलिए हम सबको मिलकर जल संरक्षण के लिए कारगर कदम उठाने होंगे।इसी क्रम में विधि विभागाध्यक्ष डॉ राहुल वार्ष्णेय ने जल संरक्षण के महत्व को विस्तार से समझाते हुए कहा कि जल को बचाने के लिए अनावश्यक कार्यों में जल का उपयोग नहीं करे, वर्षा जल का संग्रह करें और अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ पौधे लगाएं। इसकी शुरुआत हमें अपने घर से करें जिससे कि हमारा पर्यावरण और भावी पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित रह सके।इस कार्यशाला में डॉ सचिन गुप्ता, डॉ तरुण विरमानी, डॉ नन्द राम, डॉ मुकेश सैनी, डॉ पवन शर्मा, डॉ रामवीर सिंह, डॉ अनु बहल मेहरा, डॉ दिव्या अग्रवाल, दयाशंकर प्रसाद, महेन्द्र धानु, प्रशांत कुमार, अजय कुमार, रेशु विरमानी, ववीता यादव, आलोक श्रीवास्तव, सुधीर डुडेजा, धरमवीर शर्मा, सुंदर आदि सभी स्टाफ छात्र-छात्राओं के साथ उपस्थित थे।

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