आध्यत्म

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Posted by: | Posted on: January 1, 2018

एमआरईआई ने महामृत्युंजय यज्ञ के साथ किया नए साल का स्वागत

Vinod Vaishnav | इस विरासत को आगे ले जाते हुए, मानव रचना शैक्षणिक संस्थान ने नए साल का स्वागत एक हफ्ते से चल रहे महामृत्युंजय यज्ञको पूर्णाहूति देते हुए किया गया। सभी की सुख, समृद्धि और शांति की कामना के साथ 26 दिसंबर से महामृत्युंजय यज्ञ की शुरुआत की गई है। इसको पूर्णाहूति नए साल के पहले दिनदी गई। इस मौके पर भजन व भंडारे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मानव रचना परिवार के सभी सदस्यों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि फरीदाबाद के उपायुक्त श्री अतुल द्विवेदी अपनी पत्नी के साथ मौजूद रहे।  फरीदाबाद के अन्य जानी मानी हस्तियां जैसे की श्री एच के बत्रा, परफेक्ट ब्रेड; श्री र के बंसल; श्री ज पी मल्होत्रा भी थे। पूर्णाहूति का कार्यक्रम हवन के साथ शुरू किया गया हवन मैनेजमेंट, वाइस चांसलर, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, इंस्टीट्यूशन्स के हैड, प्रिंसिपल व डायरेक्टर्स के द्वारा किया गया। यहकार्यक्रम मानव रचना परिवार के सदस्यों, स्टाफ सभी के लिए एक दूसरे के साथ जुडऩे का माध्यम था। हवन के बाद सिद्धार्थ मोहन के भजनों पर सभी ने आनंद लिया व उसके बादसाथ में स्वाद से भरभूर भंडारे का मजा लिया। इस मौके पर पिछले 10 सालों से मानव रचना संस्थान के साथ जुड़े 91 मैंबर्स को उनके योगदान के लिए प्रमाण पत्र और गिफ्ट देकरसम्मानित किया गया ।

Posted by: | Posted on: January 1, 2018

आत्मशुद्धि का शुभ संकल्प ले किया नववर्ष का भव्य स्वागत :-सतयुग दर्शन ट्रस्ट

Vinod Vaishnav |  सतयुग दर्शन ट्रस्ट , फऱीदाबाद, आरमभ से ही समाज के प्रत्येक आयु वर्ग के सदस्यों के चारित्रिक उद्धार के प्रति प्रतिबद्ध होकर, तरह-तरह के आयोजनों के माध्यम से सामाजिक उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है। इसी संदर्भ में ट्रस्ट ने नववर्ष की पूर्व संध्या पर बड़े ही उत्कृष्ट व सुन्दर ढंग से, वर्तमान युवाओं को आत्मशुद्धि करने का आवहान दिया। इस अवसर पर ट्रस्ट के मार्गदर्शक श्री सजन जी ने उपस्थित सजनों को कहा कि हमारा वास्तविक स्वरूप विशुद्धता का प्रतीक है। इस स्वरूप का बोध करने हेतु आध्यात्मिक शिक्षा अनिवार्य है। आध्यात्मिक शिक्षा के लिए आत्मशुद्धि अति उत्तम साधन है। आत्मशुद्धि से तात्पर्य मन और शरीर इन दोनों की पवित्रता से है। इस आधार पर आत्मशुद्धि दो प्रकार की है – आन्तरिक एवं बाह्र यानि मानसिक शुद्धि एवं शारीरिक शुद्धि। मानसिक शुद्धि को अन्त:करण की शुद्धि भी कह सकते हैं। यद्यपि आध्यात्मिक साधना हेतु अन्दरूनी व बैहरूनी दोनों प्रकार की शुद्धियाँ आवश्यक मानी जाती हैं तथापि शारीरिक पवित्रता से अधिक चित्त-वृत्तियों की पवित्रता तथा वासनादि के क्षय का महत्व है। आन्तरिक शुद्धि से तात्पर्य अपने शारीरिक स्वभावों की सफाई करने से है। इस हेतु जिह्वा को स्वतन्त्र, संकल्प को स्वच्छ व दृष्टि को कंचन रखने से है। बैहरूनी शुद्धि से तात्पर्य अपने शरीर, परिधान (वस्त्र), खुराक, आसपास के वातावरण व व्यवहार यानि रैहनी-बैहनी की स्वच्छता से है। उन्होने कहा कि जहाँ आन्तरिक शुद्धि, मानसिक रूप से हमें स्वस्थ व स्वच्छ रखने के साथ-साथ, हमारे व्यक्तित्व व चरित्र को निखारती है तथा सज्जन व श्रेष्ठ पुरूष बनने में हमारी सहायक सिद्ध होती है, वही बैहरूनी शुद्धि हमें शारीरिक रूप से स्वस्थ व स्वच्छ बनाने के साथ-साथ हमारे आचरण व व्यवहार को उत्तम बनाकर हमें सब की नजऱों में सुन्दर, स्पष्ट व मधुर बनाती है। अत: पूर्ण व्यक्तित्व के विकास के लिए अन्दरूनी व बैहरूनी दोनों ही वृत्तियों की स्वच्छता को अपनाना होगा तभी हम प्रत्येक कार्य करने में दक्ष हो सकते हैं और आत्मविश्वासी व स्वावलंबी बन सकते हैं।श्री सजन जी ने आगे सजनों को समझाया कि आन्तरिक शुद्धि के लिए अपने अंत: करण को स्वच्छ दर्पण सा पारदर्शी बनाना होगा। इसके दर्पण होने की कल्पना तभी साकार होगी, जब उसमें परमात्मा का प्रतिबिमब पूर्ण रूप से दिखाई देने लगेगा। इस हेतु भाव शुद्धि अनिवार्य समझो। भाव शुद्धि हेतु सर्वश्रेष्ठ ब्राहृ भाव को धारण करो तथा आत्मनिरीक्षण व आत्मनियंत्रण प्रक्रिया द्वारा मनोभावों की त्रुटियाँ/दोष को दूर करके उन्हें सुधारो व अपने आचार-विचार को स्वच्छ, सुन्दर व सुसंस्कृत बनाओ। इस संदर्भ में याद रखो आत्मिक ज्ञान आत्मशुद्धि का सर्वोात्तम साधन है। अत: आत्मज्ञान रूपी मिट्टी और वैराग्य रूपी जल से मन के मैल को धोवो और इन्द्रिय-निग्रह द्वारा च्मैज् और च्मेराज् के अहंभाव का परित्याग करो। इस तरह अपने मन की पूर्ण निर्मलता हेतु काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसे स्वार्थपर दुर्गुणों का उन्मूलन करो। इस संदर्भ में मत भूलना कि मन का पंच विकारों से मुक्त हो वासना-रहित होना निर्मलता है तथा बुद्धि के धरातल पर अहंकार का विसर्जन निर्मलता है। इसका श्रेष्ठतम रूप है – ‘मैं शरीर नहीं हूँ, चैतन्य हूँ ज्। इस आधार पर च्विचार ईश्वर आप नूं मानज् इस सत्य को आत्मसात् कर अपने आप को सदा एक अवस्था में साधे रखो। आशय यह है कि मन को दु:ख-सुख, शोक-हर्ष आदि द्वन्द्वों से रहित, संकल्प रहित अवस्था में बनाए रखो और ए विध् अपने शारीरिक स्वभावों का टेमप्रेचर सम रख निर्विकारी बने रहो। इस हेतु दिल को सदा ईष्र्या, द्वेष और आपस की फूट से अलग रखो। बुरी बातों और ऐसे सजनों के कुसंग से सदा बच कर रहो जिन के अन्दर और बाहर कुछ और हो। इस तरह न बुरा सोचो, न बुरा बोलो व न ही किसी का बुरा करो अपितु अपने अन्दर सद्गुणों एवं सात्विक वृत्तियों का निरन्तर विकास करने हेतु, वैसा ही पढ़ो, वैसा ही सुनो, वैसा ही कहो, वैसा ही सोचो जिससे अन्तरमन कलुषित न हो। ऐसा करने से सद्गुणों की वृद्धि होगी और नैतिक रूप से अपने आपको ऊँचा उठाने में सहायता प्राप्त होगी।

श्री सजन जी ने सजनों से कहा कि चूंकि आपकी आन्तरिक शुद्धता आपके ह्मदयगत विचारों, आचरण व व्यवहार से परलक्षित होगी, अत: अपने चोले को बेदाग रखने के लिए, मानसिक एवं भौतिक दोनों धरातलों पर, अपने भावों, आचार-विचार व व्यवहार का अध्ययन करते हुए सचेतन बने रहना। इस संदर्भ में यह भी मत भूलना कि आत्मशुद्धि की पराकाष्ठा वहीं मानी जाती है जहाँ मनसा, वाचा, कर्मणा तीनों धरातल पर समभाव अभिव्यक्त होता है यानि ज्ञान, इच्छा, कर्म तीनों उज्जवलता भाव से संयुक्त होते हैं। यह पूर्ण चेतनता की अवस्था मानी जाती है। अत: शुद्ध आत्मा की तरह सजग होकर इस चरम सत्य की अनुभूति करने में कामयाब होना।

Posted by: | Posted on: December 29, 2017

भारत माता मंदिर के भूमि पूजन के साथ समरस गंगा महोत्सव का शुभांरभ

पलवल Vinod Vaishnav /Yogesh Sharma । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित होने वाले समाज के महासम्मेलन का शुभारंभ भारत माता मंदिर के लिए नेता जी सुभाष चंद्र बोस स्टेडियम में शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन अविजित नक्षत्र में शुक्रवार को भूमि पूजन के साथ किया गया। इस पूजन के बाद पांडाल को सुसज्जित करने की प्रक्रियायें शुरू हो जाएगी। इस अवसर पर हवन का आयोजन कर पूर्ण विधि-विधान से आयोजन समिति के सदस्यों सहित सभी स्वयंसेवकों के द्वारा हवन यज्ञ में आहूतियां देकर यज्ञ सम्पूर्ण किया गया। इस अवसर पर जिला संघचालक देशभक्त आर्य, जिला कारवाह वेद प्रकाश, समरसं गंगा महोत्सव आयोजन समिति प्रचार प्रमुख विष्णु चौहान, मनीषा मंगला, अतुल मंगला, भगत ङ्क्षसह डागर, गुरूदत्त गर्ग, प्रेम कुमार, सतीश कुमार, सतबीर ङ्क्षसंह, सतीश कौशिक, प्र्रवीन, ईशा ग्रोवर, संदीप, शक्ति, विजेन्द्र मंगला, नगर प्रचारक अनिल कुमार, पंकज कुमार, जिला व्यवस्था प्रमुख शैलेन्द्र कुमार मौजूद थे। गौरतलब है कि 10 नबंवर से समरस गंगा महोत्सव की सम्पूर्ण रचना तैयार की गई है जिसमें गत दो माह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित पूर्व सैनिक संगठन, समाजिक संस्थाओं के साथ समाज के सभी गणमान्य व्यक्ति अपना सहयोग दे रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित समरस गंगा महोत्सव के लिए समाज के द्वारा उत्साह पूर्ण वातावरण तैयार कर इस महोत्सव को एक यादगार बनाने के लिए पूर्ण रचना रच दी गई है। समरसं गंगा महोत्सव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व समाज के द्वारा समाज के लिए, समाज के द्वारा किए जाने वाला महा आयोजन है जिसमें समाज ही सर्वोपरि होगा। गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेंवक संघ बैठक कर इस महा सम्मेलन के लिए आने वाले अतिथियों की संख्या निश्चित कर चुका है जिसके लिए उनका अनुमान इस कार्यक्रम में आने वाले समाज के व्यक्तियों की ंसख्या 20 हजार के लगभग होगी। इस महोत्सव के बारे में सह जिला संघचालक राजेन्द्र पहलवान ने बताया कि हजारों लोगों के आगमन के अनुसार सभी तैयारियां कर ली गई हैं। उन्होंने बताया कि यह महा आयोजन पूर्ण रूप से अनुशासित होगा और सभी आंगतुकों के लिए सुविधाओं का ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम की अनुपम मिसाल समाज की एकता और भाईचारा होगा।