जानिए कब है रक्षाबंधन और कौन से दो भगवानो की इस दिन पूजा करनी चाहिए व थाली सजाने का तरीका

फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : रक्षाबंधन का पर्व आस्था और विश्वास का पर्व माना जाता है। इस दिन बहनें भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनकी लंबी आयु की प्राथर्ना करती हैं। रक्षा बंधन का पर्व सावन मास का महत्वपूर्ण पर्व होती है। रक्षा बंधन भाई बहन का त्योहार होता है। यह सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

इस दिन बहने अपने भाईओ की कलाई पर राखी बाध कर उनकी लम्बी उम्र की दुआ करती है और भाई भी उनकी रक्षा का वचन देते है। रक्षा बंधन का अर्थ है रक्षा का बंधन। राखी सुत के धागे से लेकर सोने जैसे महंगी धातु की भी बनी हो सकती है। रक्षाबंधन के पर्व को लेकर तैयारियां शुरू होने लग गई हैं। इस बार रक्षाबंधन का पर्व 22 अगस्त 2021 रविवार को पढ़ रहा है।

रक्षाबंधन का पर्व बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण पर्व है। इस पर्व में शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता जाता है। रक्षाबंधन में शुभ मुहर्त पैर ही भाइयो की कलाई पर राखी बढ़ानी चाहिए। भद्राकल और राहुकाल पर राखी नहीं बाधनी चाहिए यह बहुत ही अशुभ माना जाता है। इसलिए दोनों कालो का विचार करना बहुत ही जरूरी माना गया है। तो ध्यान रखे इन दो कामो में राखी न बाधे।

रक्षा बंधन पर थाली सजाने का सही तरीका :-

राखी की थाली में सबसे पहले लाल रंग का कपडा बिछा ले फिर उसमे कुमकुम, हल्दी, चावल, राखी और कुछ पैसे रख लीजिये। इसके साथ ही कलश में पानी भर ले और आरती के लिए ज्योत भी रख लीजिए।

इसके साथ ही मुँह मीठा करने के लिए भाई की पसंदीदा मिठाई भी रखी जाती है। उसके बाद राखी बाधते समय सर पर कपडा जरूर रखे फिर भाई की आरती उतारे और टिका लगाकर कलाई पर राखी बाधे। राखी बांधने के बाद भाइयो को अपने बहनो के पैर छूना बिलकुल नहीं भूलना चाहिए।

कौन से दो भगवानो की करे पूजा :

रक्षा बंधन का पर्व पूर्णिमा में मनाया जाता है और पूर्णिमा के देवता चन्द्रमा होते है। इसलिए कहा जाता है कि इस दिन हमे शिवजी के साथ साथ चन्द्रमा की भी पूजा अर्चना अवश्य करनी चाहिए।

ऐसा करने से मनुष्य को खूब मान सम्मान मिलता है और उसका जीवन खुशिओ से भर जाता है। साथ ही दोनों की पूजा एक साथ करने से घर म सुख समृद्धि बनी रहती है और दुखो का निवारण होने लगता है।

नोट : ये सभी जानकारिया सोशल मीडिया द्वारा ली गयी है।

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