अरूआ व साहुपुरा गांव को तोडफोड़ से बचाने के लिए मंगलवार को तिगांव क्षेत्र के विधायक राजेश नागर और पृथला क्षेत्र के विधायक नयनपाल रावत ने सीएम मनोहर लाल से चंडीगढ़ में मुलाकात की। दोनों विधायकों ने सीएम को ज्ञापन भी दिया।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के एक आदेश से दोनों गांवों पर तोडफोड़ का संकट गहराया हुआ है। न्यायालय के आदेश पर एसडीएम ने मार्च में इन दोनों गांवों के ग्रामीणों को पंचायती जमीन से बेदखल करने के नोटिस जारी किए थे। गुरुवार 30 सितंबर को दोनों गांवों में तोड़फोड़ की कार्रवाई होनी थी, मगर किन्हीें कारणों के कारण कार्रवाई स्थगित हो गई है। इस वजह से दोनों गांवों के ग्रामीणों की रातों की नींद और दिन का चैन गायब है। साहुपुरा खादर गांव की आबादी 1924 में यमुना में बाढ़ आने के कारण कटाव होने से बह गई। तब गांव में मात्र 50 कच्चे घरों की आबादी थी। अंग्रेजी जमाने में इस गांव को गुडगांव के तत्कालीन डीसी एलएफएन ब्रेन ने अरुआ की पंचायती जमीन में बसा दिया। ग्रामीणों को बेदखल करके निर्माण तोड़ने के लिए नोटिस दिए जा चुके हैं। विधायक राजेश नागर व नयनपाल रावत ने सीएम मनोहर लाल से मुलाकात कर कहा कि दोनों गांवों को बचाने के लिए पॉलिसी बनाए जाए। ताकि ग्रामीणों के सैंकडों साल पुराने आशियाने बच सकें। शाहजहांपुर गांव को भी डीसी ने पॉलिसी बनाकर बचाया है। इसी प्रकार इन गांवों को भी पॉलिसी के तहत बचाया जाए। सीएम ने दाेनों विधायकों की बात सुनने के बाद उन्हें हरसंभव प्रयास किए जाने का आश्वासन दिया।