कनाडा के कैंस्ले कॉलेज का लिंग्याज विद्यापीठ के साथ समझौता, दोनों संस्थानों के छात्र एक-दूसरे के यहां जाकर पढ़ सकेंगे

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव): शिक्षा के क्षेत्र में बहुउद्देशीय उन्नति के सापेक्ष में ज्ञान और बहुमुखी विकास के लिए लिंग्याज विद्यापीठ (डीम्ड-टू-बी) यूनिवर्सिटी ने कनाडा स्थित कैंस्ले कॉलेज के साथ अंतर्राष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के चलते अब लिंग्याज के छात्र- छात्राएं कनाडा जाकर भी शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे।

इस अंतर्राष्ट्रीय समझौते के तहत दोनों संस्थाएं शोध कार्यों में एक-दूसरे की मदद करेंगी। इसके तहत लिंग्याज विद्यापीठ के छात्र-छात्राएं व अध्यापक कैंस्ले कॉलेज में उपलब्ध पुस्तकालय, प्रयोगशालाओं, सभागार तथा जिम जैसी सुविधाओं का प्रयोग कर सकेंगे। जहां एक ओर यह समझौता शैक्षिक आयाम के क्षेत्र में वृद्धि करने के लिए विज्ञान, गणित और मानविकी के क्षेत्र में शिक्षण और शोध कार्यों में विस्तार करेगा, वहीं दूसरी ओर दोनों संस्थाओं के विद्यार्थियों तथा अध्यापकों को जीव विज्ञान, रसायन शास्त्र, भौतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान तथा औषधीय विज्ञान के क्षेत्र भी शोध कार्य करने के अवसर प्राप्त होंगे। लिंग्याज ग्रुप के चेयरमैन डा. पिचेश्वर गड्डे ने दोनों महत्वपूर्ण संस्थाओं के बीच हुए इस समझौते पर खुशी जताते हुए कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय समझौता अवश्य ही शिक्षा और शोध के मानदंडों पर खरा उतरेगा तथा वर्तमान और भविष्य में शोधकर्ता इससे लाभान्वित होंगे। कैंस्ले कॉलेज के डारेक्टर उत्तम कुमार, किल्लारू दिलीप (विजयवाड़ा लोकसभा कंटेस्टेंट्स 2019) व लिंग्याज मैनेजमेंट के सदस्यों ने इस अंतर्राष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के अंतर्गत भारतीय जिसके लिए प्रारम्भिक शिक्षा विद्यार्थी लिंग्याज विद्यापीठ में प्राप्त करेंगे तथा अंतिम दो वर्ष कैंस्ले कॉलेज, कनाडा में अध्ययन करेंगे। इस पूरी अवधि के उपरांत कैंस्ले कॉलेज डिप्लोमा देगा और डिग्री लिंग्याज विद्यापीठ द्वारा दी जायेंगी। इस प्रकार ये एक डबल स्टडी प्रोग्राम होगा।

इस मौके पर वाइस चांसलर प्रो (डॉ). अरविंद अग्रवाल ने कहा कि शैक्षणिक गतिविधियों के साथ-साथ विद्यापीठ वैज्ञानिक मेद्दा,  वैश्विक दक्षताओं व छात्रों के समग्र विकास के लिए विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से सीखने के व्यापक अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। वही प्रो वाइस चांसलर प्रो. जसकिरण कौर ने कहा की ज्यादातर ऐसा होता है कि भारत के छात्र ही विदेश पलायन करने में लगे रहते है, लेकिन हमारी ये कोशिश है कि अब विदेश से ज्यादा से ज्यादा छात्र भारत में भी आकर पढ़े। ग्लोबलाइजेशन का ट्रेंड बढ़ रहा है।  छात्रों को क्या पढ़ना है। किस देश में पढ़ना है। इस बारे में सोचना चाहिए। इसलिए हमारी यही कोशिश है कि भारत के साथ-साथ विदेशों से भी ज्यादा से ज्यादा छात्र यहां आकर अपनी पढाई करे। विद्यापीठ के रजिस्ट्रार प्रेम कुमार सालवान ने कहाकि दोनों शैक्षणिक संस्थानों के बीच समझौता एक अच्छी पहल है। इससे दोंनो संस्थानों के स्टूडेंट्स को एक-दूसरे के यहां जाकर शिक्षण और शोध कार्यों में मदद मिल सकेगी।

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