76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र ने 11 अगस्त, 2023 को सतयुग दर्शन सभागार, फरीदाबाद में अपनी छठवीं अंतर राज्यीय संगीत प्रतियोगिता का “ग्रैंड फिनाले” आयोजित किया।• वेंकटेश्वर ग्लोबल स्कूल दिल्ली ने समूह नृत्य श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त किया। • पुलिस लाइन डी ए वी स्कूल अंबाला ने समूह गीत श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त किया। 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, संगीत और नृत्य में 18 वर्षों की उत्कृष्टता हासिल करने वाले प्रसिद्ध संगीत विद्यालय, सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र ने पूरे उत्तरी भारत में 19 केंद्र स्थापित किए हैं, जिसने अपनी छठी अंतर राज्य संगीत प्रतियोगिता, अर्थात् ग्रैंड फिनाले का सफलतापूर्वक आयोजन किया। सतयुग राइजिंग स्टार 2023, सतयुग दर्शन ऑडिटोरियम, फ़रीदाबाद में दिल्ली एनसीआर, हरियाणा और यूपी के फाइनलिस्टों ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया। प्रतियोगिता मानवीय मूल्यों पर आधारित समूह गीत और देश भक्ति गीतों पर आधारित समूह नृत्य आधारित थी जिसके लिए स्कूलों को ‘मानवीय चेतना के स्वर’ नामक एक पुस्तक भी प्रदान की गई थी। प्रतियोगिता में कक्षा 7वीं से 12वीं कक्षाओं के विद्यार्थी भाग ले सकते हैं और इसका निर्णय विवेकपूर्ण और अनुभवी जूरी द्वारा किया गया, जिनकी उपस्थिति और मार्गदर्शन ने प्रतिभागियों को पूरे उत्साह में रखा। दोनों श्रेणियों में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले स्कूल को एक आकर्षक ट्रॉफी, उपलब्धि प्रमाण पत्र और क्रमशः 5100/- रुपये, 3100/- रुपये और 2100/- रुपये के नकद पुरस्कार और सभी प्रतिभागियों को भागीदारी प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।प्रतियोगिता की शुरुआत मुख्य अतिथि के स्वागत और सतयुग दर्शन ट्रस्ट के मार्गदर्शंक श्री सजन जी, मैनेजिंग ट्रस्टी श्रीमती रशमा गांधी, श्रीमती अनुपमा तलवार चेयरपर्सन सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र) सुश्री रंजीता मेहता (मानद महासचिव, हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद), अंतर्राष्ट्रीय कथक कलाकार किशन मोहन महाराज जी, डा अंशु गुप्ता चेयरपर्सन सर्वोदय हास्पिटल, ए सी पी सुधीर तनेजा आई टी फरीदाबाद, गुरु रोज़ी शर्मा, मोहित नारंग चेयरपरसन एवं प्राचार्य दीपेंद्र कांत द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र के छात्रों द्वारा स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया गया।सतयुग दर्शन ट्रस्ट के संरक्षक, श्री सजनजी ने दर्शकों को उपदेश दिया कि सतयुग दर्शन वसुन्धरा से जो भी गतिविधियाँ चलती हैं, वह त्रेता, द्वापर व कलियुग के संकल्प युक्त वातावरण में उलझी हुई मानसिकता वाले इंसानों के मन को, वेद-विहित रीति-नीति अनुसार, संकल्प रहित अवस्था में साध, सतयुग की पहचान व मानवता का स्वाभिमान बनने के प्रति ही समर्पित होती हैं। जानो क्यों? इस संदर्भ में आप सभी उपस्थित सजन इस कुदरती सत्य से तो परिचित ही होंगे कि कुदरत ने समयकाल को चार युगों में बाँट रखा है यथा सतयुग, त्रेता, द्वापर व कलियुग। काल क्रम अनुसार अब कलुकाल जाने वाला है और सतवस्तु आने वाली है। इस कुदरत के अटल सत्य को दृष्टिगत रखते हुए, वैश्विक स्तर पर, आज हर जानिब से, प्रत्येक मानव को सत्यता का प्रतीक आत्मज्ञान प्रदान कर, धर्मज्ञ बनाने की नितांत आवश्यकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जहाँ संकल्प के स्वरूप अनुसार, त्रेता में धर्म तीन पाद पर व द्वापर में दो पाद पर स्थित होता है वही कलियुग में धर्म का मात्र एक पाद रह जाता है। ज्ञात हो सजनों कि कुदरत के खेल अनुसार अब कुछ समय पश्चात् यानि सतयुग में धर्म पुन: अपने चार पाद पर स्थिरता से खड़ा होने वाला है। इसलिए तो वर्तमान में भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए, सर्वप्रथम हर मानव को, धर्म की व्याख्या से परिचित कराया जा रहा है जोकि इस प्रकार है:-धर्म (Righteousness) यानि किसी वस्तु या व्यक्ति का वह मूल गुण या वृत्ति जो उसमें सदा रहे व कभी अलग न हो। धर्म वह प्राकृतिक स्वभाव है जिस द्वारा ब्रह्म निर्दिष्ट हर कर्म पारलौकिक सुख की प्राप्ति के अर्थ से किए जाते हैं यानि यह वह कर्म है जिसका करना किसी सम्बन्ध, स्थिति अथवा गुण विशेष के विचार से उचित और आवश्यक होता है। अन्य शब्दों में हम इसे वह वृत्ति या आचरण भी कह सकते हैं जो लोक या समाज की स्थिति के लिए आवश्यक होता है व जिसके द्वारा समाज की रक्षा और सुख शांति में वृद्धि होने के साथ-साथ परलोक में भी उत्तम गति प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त धर्म परायणता उचित या अनुचित का विचार करने वाली वह चित्त वृत्ति भी कहलाती है जिसके प्रभाव से इंसान सत्-स्वभाव धारण कर सत्कर्म करता है, व नीतिसंगत अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हुए, पूरी ईमानदारी से सदाचार की राह पर चलता है और निर्विकारी कहलाता है। धर्म की इस महान महत्ता के दृष्टिगत ही सजनों सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ में कहा गया है:-धर्म मत हारना रे, धर्म मत हारना रे, धर्म के ऊपर सजनों तन, मन, धन सब वारना रेइस परिप्रेक्ष्य में वैश्विक स्तर पर ऐसा सकारात्मक स्वाभाविक परिवर्तन लाने में संगीत की महत्ता तो आप सब भली-भांति जानते ही हैं। यहाँ ज्ञात हो कि संगीत की सभी विधाओं यथा गायन, वादन व नृत्य द्वारा, हर जन के मन में, श्रेष्ठ मानव बनने हेतु उत्साह एवं उमंग पैदा करने हेतु ही, जगह-जगह सतयुग दर्शन संगीत कला केन्द्र खोले गए हैं व इन केन्द्रों के माध्यम से इस शुभ कार्य की सिद्धि के निमित्त नि:शुल्क सतयुग “राईसिंग स्टार नामक” इन “इंटरस्टेट प्रतियोगिताओं” का आयोजन किया गया है ताकि हर मानव दिल से सतयुगी नैतिक आचार-संहिता अपनाने के लिए तैयार हो जाए और सजन भाव अपनाकर यानि सज्जनता का प्रतीक बन कर, अपने इस अनमोल मानव चोले का परिपूर्णता से लाभ उठाए व अंत मोक्ष को प्राप्त कर, सुख आनन्द से जीवन बिताए। सारत: सजनों हम तो यही कहेंगे कि अगर आप सब भी अपने जीवन का अंत परिणाम ऐसा ही मंगलकारी चाहते हैं तो एक सत्यनिष्ठ व धर्मपरायण बनने के प्रति “साधना करो ते लावो ध्यान”। इस तरह आत्मिक ज्ञान प्राप्त कर व संतोष-धैर्य अपना कर, सच्चाई धर्म का निष्काम रास्ता पकड़ लो और अपने असली स्थान यानि परमधाम पहुँच विश्राम को पाओ। अंत में सजनों हमारी प्रार्थना है कि :-अनेक धर्मों को छोड़ो सजना, एक धर्म हो जाओ जी, मानव धर्म है सबका सांझा, सारे वही धर्म अपनाओ जी,आप सब ऐसे करने में कामयाब हो सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र की अध्यक्ष श्रीमती अनुपमा तलवार, जो खुद एक गायन और नृत्य प्रतिपादक हैं, ने अपने भाषण में उल्लेख किया कि सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र के पंख दिल्ली, फरीदाबाद, पानीपत, अबाला, जालंधर, लुधियाना, रोहतक जैसे विभिन्न शहरों में फैले हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कला केंद्र प्रयाग संगीत समिति, प्रयागराज से संबद्ध है जो 1926 से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दे रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र बिना किसी भेदभाव के गायन, वाद्य और नृत्य तीनों विधाओं में शिक्षा प्रदान करता है। उन्होंने प्रतिभागियों को यह कहकर प्रेरित किया कि संगीत केवल एक प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि यह एकता, सद्भाव और हम में से प्रत्येक के भीतर पनपने वाली असीमित रचनात्मकता का उत्सव है।प्रधानाचार्य श्री दीपेंद्र कांत ने संगीत की परिवर्तनकारी शक्ति में उनके अटूट समर्थन और विश्वास के लिए सभी प्रतिभागियों और संगीत शिक्षकों की गहरी सराहना की, जिन्होंने इस कार्यक्रम को एक बड़ी सफलतम बनाया। उन्होंने आगे सभी को अपनी कला को निखारने, रचनात्मकता की सीमाओं को आगे बढ़ाने और दुनिया को अपनी कला की जीवंतता से गूंजाने के लिए प्रोत्साहित किया और अपने अनूठे तरीके से सीखने, सहयोग करने और संगीत क्रांति को प्रज्वलित करने के हर अवसर को स्वीकार करना भी। उन्होंने प्रतियोगिता का परिणाम इस प्रकार घोषित किया-समूह गीत श्रेणी में -पुलिस लाइन डी ए वी स्कूल अंबाला ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, लॉर्ड जीसस स्कूल गुड़गांव ने दूसरा स्थान और बेदी इंटरनेशनल स्कूल बरेली ने तीसरा स्थान हासिल किया और सेंट एंथनी स्कूल फरीदाबाद को सांत्वना पुरस्कार मिला।समूह नृत्य श्रेणी में -वेंकटेश्वर ग्लोबल स्कूल दिल्ली ने पहला स्थान हासिल किया, सी सी ए स्कूल गुरुग्राम ने दूसरा स्थान हासिल किया और पुलिस डी ए वी स्कूल अंबाला ने तीसरा स्थान हासिल किया और पठानिया पब्लिक स्कूल रोहतक को सांत्वना पुरस्कार मिला।निर्णायक मंडल में श्री मनीष त्रिखा, मिस आकांक्षा भाटिया, डा अमित शर्मा , मिस अंशणु, मिस स्मिता चक्रवर्ती मौजूद रहे वहीँ मंच सञ्चालन अंकिता नारंग एवं कृष्ण कांत डाइंग ने किया।इसके अतिरिक्त सतयुग दर्शन ट्रस्ट (पंजीकृत) फरीदाबाद में एक धर्मार्थ ट्रस्ट है, जिसकी स्थापना 75 साल पहले हुई थी और यह शिक्षा और सभी संभावित तरीकों के माध्यम से मानव जाति की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पीड़ाओं को कम करने के उद्देश्य से विश्व स्तर पर विभिन्न आत्म-जागृति गतिविधियों का संचालन कर रहा है। अपनी स्थापना के बाद से इसने मूल्य आधारित जागरूकता और शिक्षा के माध्यम से मानव जाति में चेतना और भाईचारा पैदा करने के अपने चार्टर को पूरा करने के लिए सफलतापूर्वक विभिन्न पहल की हैं
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