आजकल एक का चार बनाने का लालच नए-नए बच्चों में देखने को मिल रहा है : हुकुम चंद (चेयरमैन) Paramhansa Senior Secondary School

आजकल एक का चार बनाने का लालच नए-नए बच्चों में देखने को मिल रहा है वह बिना मेहनत किए पैसे वाला बनना चाहते हैं इसलिए एक नया उनके लिए है जिसे सट्टा खेल कहते हैं और आज की ट्रेन में ट्रेडिंग मार्केट बोलते हैं इस में ट्रेडिंग में आज तक केवल सर्वे के अनुसार चालाक लोग जो यह काम करते हैं जिनकी उपस्थिति केवल एक प्रतिशत मानी गई है वह तो सफल हो जाते हैं परंतु 99% आज तक कोई सफल नहीं हुआ इस खेल में पहले खिलाड़ी को थोड़ा सा लालच देकर जिसे थोड़ा सा लाभ कहते हैं इसमें फंसा लेते हैं फिर उसकी बात वह इस दलदल से बाहर जब भी निकलता है जब उसका अंत होना नजदीक होता है।

यह एक ऐसा जाल है इसमें से विजय होकर बाहर निकलना नामुमकिन होता है इस खेल में पहले बड़े-बड़े सेठ साहूकार खेल को खेलते थे क्योंकि पहले पैसा कुछ ही लोगों के पास होता था वह लोगों से उधार लेकर इस ट्रेडिंग में पैसा लगाते थे और गोमट थे अंत में उनका हर्ष वही होता था जो मैं पहले कह चुका हूं की जो जल का फंडा है वह उनके गले में ही लटकता नजर आता है और अंत में उनकी वह दशा होती है जो समाज को एक नया मार्ग दिखाता है इसलिए मैं नए बच्चों से यह आग्रह करना चाहूंगा कि इस ट्रेडिंग के कार्य में ना फंसकर के मेहनत की कमाई की रोटी खाएं अन्यथा आपका परिवार रास्ते पर भूखा मरता हुआ नजर आएगा जैसा कि पहले लोगों के साथ हुआ है उन्होंने अपनी करोड़ की कीमत सारी कमाई और बड़े-बड़े कारोबार फेल होते नजर आए जिन्हें आज खंडार कहते हैं कुछ समय पहले उन लोगों की मार्केट में तूती बोलती थी और कुछ दिनों के बाद उन्हें रेडी लगाने की भी जगह नहीं मिली तो कोशिश यही है की अच्छा काम करो इसे छोड़ दो जिससे तुम्हारा परिवार सुरक्षित रहेगा नहीं तो परिवार भी बिगड़ेगा और जगह सही भी होगी ।

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