फरीदाबाद( विनोद वैष्णव )। ‘शिक्षक दिवस’ संपूर्ण संसार की मार्गदर्शक, वीरभोग्या वसुंधरा यह भारतभूमि प्राचीन काल से ही विश्वगुरु की परंपरा का पालन करने वाली रही हैं। भारत माता ने समय की आवश्यकता का अवलोकन करते हुए अपनी कोख से हज़ारो ऐसे वीर पैदा किये जो संसार के लिए एक मिसाल कायम हुए। ऐसी ही एक परंपरा हमारे देश में ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में स्थापित हुई। 5 सितम्बर 1888 ई को जन्मे महान धैर्यशाली कर्तव्यपरायण और कोई नहीं स्वयं सर्वपल्ली राधकृष्णन ही थे, जिन्होंने उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति पद की गरिमा को बढ़ते हुए अंत समय तक अपने आपको एक शिक्षक के रूप में ही मानते रहे। उनकी शिक्षकों के प्रति अपार श्रद्धा और भक्ति को देखकर उनके जन्मदिवस को ही पूरे देश ने शिक्षक दिवस के रूप में एक नई पहचान दिलाई।
एमपीएस इंटरनेशनल स्कूल, जवां में शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में सर्व प्रथम श्री सर्वपल्ली राधाकृष्ण जिन का जन्मदिवस मनाकर बच्चों को उनके पद-चिन्हों पर चलने की प्रेरणा दी तथा इस दिवस के उपलक्ष्य में बच्चों ने अनेक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये। बच्चो ने इस दिवस का महत्व नाटक तथा कविताओं के माध्यम से समझाकर उन्हें गुरुजनों की आज्ञा पालन के विषय में समझाया, जिससे वे भी उन सभी बातों को अपने जीवन में उतारकर अपने जीवन को एक आदर्श जीवन के रूप में प्रस्तुत कर सकें।
अंत में विद्यालय की निदेशिका महोदया एवं प्रधानाचार्य महोदया ने भी इस अवसर पर शिक्षकों का सम्मान कारत्वे हुए भको को उनके द्वारा प्रदान की गई शिक्षा का महत्व समझाकर उनका मार्गदर्शन किया।
उन्हें बताया कि शिक्षक एक दीपक की भांति एक ज्योति पुंज की तरह हैं, जो स्वयं प्रकाशित होकर दूसरो को अच्छी राह दिखाने का प्रयास करता हैं। एक आदर्श शिक्षक इस समाज का निर्माता भी है, वह पथदर्शक भी है, वह मार्गदर्शक भी है और तो क्या वह समाज का भविष्य है जो हमेशा लोगो के हृदय में चमकता रहता है।