लिंग्याज विद्यापीठ में वेबिनार आयोजित कर मनाया विश्व उपभोक्ता दिवस

अधिकारों के प्रति जागरूक रहें उपभोक्ता

‘वर्तमान परिदृश्य में उपभोक्ता अधिकार और चनौतियां’ विषय पर हुई चर्चा
फरीदाबाद, 16 मार्च। लिंग्याज विद्यापीठ, डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लॉ ने वेबिनार आयोजित कर विश्व उपभोक्ता दिवस मनाया। गूगल मीट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा ‘वर्तमान परिदृश्य में उपभोक्ता अधिकार और चनौतियां’ विषय पर चर्चा की गई। आयोजन के दौरान स्कूल ऑफ लॉ के डीन डॉ. राधेश्याम प्रसाद व गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय स्कूल ऑफ लॉ के डीन डॉ. अमरपाल सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। वेबिनार का संचालन स्कूल ऑफ लॉ की सहायक प्रोफेसर शरावनी ने संभाला। वेबिनार में 80 से भी अधिक प्रतियोगियों ने भाग लिया। इसी दौरान डॉ. ए.आर. दुबे (कुलपति लिंग्याज विद्यापीठ) ने भी उत्पाद की देयता पर खासतौर पर अपना मत रखा।
डॉ. राधेश्याम प्रसाद ने बताया कि विश्व उपभोक्ता दिवस हर साल 15 मार्च को पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिन को उपभोक्ता के अधिकारों और जरूरतों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है ताकि उपभोक्ता अपने खिलाफ हुए धोखाधड़ी और सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ सकें। अलग-अलग देशों में विश्व उपभोक्ता अधकार दिवस कई तरीकों से मनाया जाता है। इस दिन लोगों को उनके अधिकारों के बारे में बताने के लिए जागरूकता अभियान व कैम्प लगाए जाते हैं। वहीं इसके इतिहास पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत 1966 में महाराष्ट्र से हुई थी। वर्ष 1974 में पुणे में ग्राहक पंचायत की स्थापना के बाद अनेक राज्यों में उपभोक्ता कल्याण के लिए संस्थाओं का गठन किया गया। 9 दिसंबर 1986 को प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित किया गया और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद इसे देशभर में लागू किया गया। पिछले साल 20 जुलाई 2020 को इस कानून के तहत संशोधन कर ग्राहकों को और अधिक सशक्त व सक्षम बनाने की कोशिश की गई है।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाने के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए डॉ. अमरपाल सिंह ने कहा कि इस दिन को मनाए जाने का मूल उद्देश्य यही है कि उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाए और अगर वे धोखाधड़ी, कालाबाजारी तथा घटतौली इत्यादि के शिकार होते हैं तो वे इसकी शिकायत उपभोक्ता अदालत में कर सकें। भारत में उपभोक्ता संरक्षण कानून में स्पष्ट किया गया है कि हर वह व्यक्ति है, जिसने किसी वस्तु या सेवा के क्रय के बदले धन का भुगतान किया है या भुगतान का आश्वासन दिया है तो ऐसे में किसी भी तरह के शोषण या उत्पीडऩ के खिलाफ वह अपनी आवाज उठा सकता है।

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