जानिए क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज और कौन सी 2 चीज़ो का है इस दिन अत्यधिक महत्व

Posted by: | Posted on: August 7, 2021

फरीदाबाद( पिंकी जोशी ):-सावन का महीना महिलाओ के लिए बहुत ही खास और महत्वपूर्ण होता है। कहा जाता है की इस दिन सभी की मनोकामनाएं पूरी होती है अथार्त इसके साथं ही दूसरे तयोहार की शुरुवात भी हो जाती है। हरियाली तीज का पर्व हर साल श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है। ये व्रत अत्यंत पावन और लाभदायी व्रत माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों की माने तो सावन का महीना पूजा और अनुष्ठान करने के लिए सबसे सर्वोत्तम महीना माना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि सालभर पूजा ना करने वाले अगर इस महीने में भगवान शिव की पूजा सच्चे मन से करते हैं तो पूरे साल भर उनका जीवन खुशियों से भर जाता है। लोग इस दिन हरे कपडे पहनते है क्युकि यह हरियाली का प्रतीक माना जाता है और साथ ही सावन के महीने में पड़ने वाले व्रतों का महत्व भी कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में हरियाली तीज का व्रत हंसरे जीवन में बहुत ही महत्व रखता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इस बार हरियाली तीज का त्योहार 11 अगस्त दिन बुधवार को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं क्या है हरियाली तीज के व्रत का महत्व और पूजा करने की सही विधि :-

हरियाली तीज का महत्त्व :-

हरियाली तीज का पर्व हर साल श्रावण मास में तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इसे श्रावणी तीज भी कहते हैं। ये व्रत अत्यंत पावन और फलदायी होता है। ये व्रत अत्यंत पावन और फलदायी व्रत माना जाता है। क्योंकि मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का मिलन हुआ था। हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती है और अपने पति की लम्बी उम्र और सुख समृद्धि की प्राथना करती हैं।


सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज का बहुत खास महत्व होता हैं। इस दिन महिलाएं पूरी श्रद्धा से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं। पूजा में सभी श्रृंगार की वस्तुएं जैसे की चुडिया , बिंदी, चुन्नी ,सिंदूर आदि चीज़े मां पार्वती को चढ़ाई जाती हैं। इसके बाद हरियाली तीज की कथा सुनकर जेठानी, सास या अपने से बड़ो का आशीर्वाद लेती है और उन्हें भेठ सवरूप सिंगार का सामान देती है।

जानिए क्या है इस पर्व की मान्यता :-

हरियाली तीज के संबंध में कहा जाता है कि इस दिन सैकड़ों वर्षो की तपस्या के बाद माता पार्वती भगवान शिव से मिल पाई थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने 107 बार जन्म लिया, फिर भी वह उन्हें पा नही सकी थी । उन्होंने 108वीं बार पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया और शिव को पति रूप में पाने के लिए तप करना शुरू किया। इस बार श्रावण शुक्ल तृतीया के दिन उनके तप का फल मिला और उन्होंने शिवजी को पति के रूप में प्राप्त कर लिया । इस दिन जो महिलाएं सोलह श्रृंगार करके शिव-पार्वती की पूरे मन के साथ पूजा अर्चना करती है उन्हें लम्बी उम्र का वरदान मिलता है और उनकी जोड़ी हमेशा सलामत रहती है।

इन दो चीज़ो का होता है खास महत्त्व जानिए :-

तीज के दिन मेहंदी और झूले का ख़ास महत्व बताया गया है। कहा जाता है इस दिन माँ पार्वती ने भगवान शिव को मानाने के लिए अपने हाथों में मेंहदी रचाई थी। मां पार्वती की हाथो में लगी मेहंदी कोण देखकर भगवान शिव अति प्रसन्न हुए। इसलिए इस दिन महिलाएं व्रत करके मां पार्वती और भोलेनाथ से अटल सुहाग की कामना करती हैं और अपने हाथो में मेहंदी भी लगाती है।

इस दिन झूले झूलने की परंपरा भी होती है। लोग अपने घरो में झूला डलवाते है और उसे फूलो से सजाते है। सभी महिलाए आपस में बैठ कर पूजा पाठ करती है फिर झूला झूलती है । असा मन जाता है कि इस दिन झूला जरूर झूलना चाहिए। इससे सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में खुशियों का प्रवेश होने लगता है।

नोट : यह सभी जानकारी सोशल मीडिया के द्वारा ली गयी है।





Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *