जानिए क्यों है रमेश चन्द हलवाई का घेवर अन्य घेवर से स्वादिष्ट

फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : सावन के महीने में सावन की प्रसिद्ध मिठाई घेवर की सोंधी -सोंधी महक हलवाईयों की दुकानों की तरफ खींच ही ले जाती है। सावन का महीना आते ही बाजारों की रौनक बढ़ने लगी है। घेवर व अन्य पकवानों की दुकानें सज गई हैं। सावन का पर्व शुरू होते ही लोग भी घेवर व अन्य मिष्ठान खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके चलते ही लोग इस माह में ज्यादातर घेवर की मिठाईयों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं और इनका स्वाद चख कर आनंद लेने से पीछे नहीं हट रहे हैं।

घरों में रौनक है, हाथों में मेंहदी है, और थाली में घेवर है!
राजस्थान की शान — घेवर!
सावन और तीज का स्वाद,
जिसमें घुला है देसी घी, केसर, चाशनी और ढेर सारा प्यार।
त्योहार अधूरा है जब तक घेवर न हो!

सावन का महीना शुरू होते ही एक ओर जहां लोगों को गर्मी व लु से निजात मिलती है वहीं घेवर का भी स्वाद लेते हैं। तीज का पर्व होने के कारण यह महीना विशेष महत्व रखता है। तीज पर लोग अपने सगे संबधियों व लडकियों को संधार में घेवर भेज कर उनकी खुशियों में शामिल होते हैं। वहीं बहने भी अपने भाईयों को तीज देने पर उनकी दीर्घायु की मंगलकामनाएं करते हैं। वहीं बाजारों में भी तीज की रौनक लौट आती है। बाजार फिरनी व घेवर की दुकानों से सज जाते हैं। लोग इन दुकानो की तरफ आकर्षित हो जाते हैं।

संचालक ने बताया कि क्यों सावन में घेवर बनता है ?

सावन का मौसम सबसे बरसाती का मौसम होता है जिसके कारण मौसम में नमी होती है इसलिए घेवर भी बहुत नमी वाला बनता है। बस सावन में ही घेवर बनता है अगर और मौसम में घेवर बनाया गया तो घेवर ज्यादा हार्ड बनेगा और स्वाद भी नहीं आएगा ।

शुद्ध देसी घी से बने घेवर :

शुद्ध देसी घी से बना घेवर, जिसकी कीमत है सिर्फ ₹540 प्रति किलो।
जो लोग शुद्धता और स्वाद दोनों में समझौता नहीं करते, उनके लिए ये घेवर है एकदम परफेक्ट।

वनस्पति घी से बना घेवर, मात्र ₹340 प्रति किलो।
सस्ता भी, स्वादिष्ट भी।

बल्लभगढ़ के सबसे पुराने और भरोसेमंद नाम – रमेश चंद हलवाई


कैसे बनाया जाता है घेवर :

घेवर को शुद्ध देसी घी और मैदे में मिलाकर पकाया जाता है और इसे बनाने में अनोखी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। जब भी वह ठंडा हो जाता है तो उसे चासनी में डुबोया जाता है और फिर इसे इस पर कटे हुए मेवे और केसर से सजाया जाता है।

घेवर को कभी फ्रीज में ना रखें :

आपको बता दें कि घेवर को कभी घर पर ले जाकर फ्रिज में नहीं रखना चाहिए क्योंकि उसमें नमी आने का डर रहता है। प्लेन घेवर को आप लगभग 7 दिनों तक खा सकते हैं एवं मलाई घेवर को आप 3 दिनों तक खा सकते हैं। अगर घेवर खाने पर आपको खट्टापन आता है तो आप समझ जाए कि घेवर खराब हो चुका है।

रमेश चन्द हलवाई का घेवर अन्य घेवरो से क्यों स्वादिष्ट है :-

संचालक का कहना है कि उनके वहा घेवर शुद्ध देसी घी मे बनाया जाता है ताकि उसके स्वाद में किसी प्रकार की कोई कमी न रहे तो इसलिए किसी प्रकार की कोई मिलावट नहीं की जाती है। कई बार जांच करने पर भी हमारा घेवर सही पाया गया है।सफाई व शुद्धता हमारी प्राथमिकता में शामिल हैं, ग्राहक की संतुष्टि ही हमारा लक्ष्य है। सावन की मिठाई घेवर बरसात होने पर अधिक स्वादिष्ट लगता है व इसकी बिक्री में भी इजाफा हो जाता है। ज्यों-ज्यों तीज का त्यौहार निकट आता जाएगा, त्यों-त्यों घेवर की बिक्री बढती जाएगी।

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