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Posted by: | Posted on: May 15, 2018

भाजपा पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई एवं जीत पर बधाई दी

फरीदाबाद ( विनोद वैष्णव )। भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है को लेकर आज भाजपा जिला कार्यालय सेक्टर 9 में सैकडो पदाधिकारी व कार्यकर्ता एकत्रित हुए इस मौके पर  केन्द्रीय राज्यमंत्री  कृष्णपाल गूर्जर भी मु�य रूप से उपस्थित रहे। इस मौके उपस्थित सभी भाजपा पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई एवं जीत पर बधाई दी। गूर्जर ने कहा कि यह जीत प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कुशल रणनीति और कठोर परिश्रम का परिणाम है। सबसे बडी पार्टी बनकर आने के लिए राज्य के असं�या कार्यकर्ताओं के अथक परिश्रम ने भी इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और  यह सिलसिला आगामी 2019 के विधानसभा व लोकसभा चुनावों में भी बदस्तूर जारी रहेगा इसका हमें पूर्ण विश्वास है। उन्होने ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फि र साबित किया कि वह ‘अजेयÓ है। जिस तरह से उत्तर-पूर्व के राज्यों में भाजपा का कमल खिला व उससे पहले गुजरात और हिमाचल प्रदेश में पार्टी ने जीत दर्ज की। उसके बाद दक्षिण में पार्टी की यह धमाकेदार जीत, कांग्रेस के लिए जमीन दिखाने वाली है।अवसर पर जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा ने कहा पिछले कुछ चुनावों के मुकाबले कांग्रेस के लिए कर्नाटक का विधानसभा चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण था। यह चुनाव पार्टी की देश में पहचान बनाए रखने के लिए जरूरी था। कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार राहुल गांधी की हैसियत का लेखा-जोखा पेश करने वाला था। इसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के मुकाबले विपक्ष में सबसे बड़े दल की हैसियत बरकरार रखने के लिए भी जरूरी था। लेकिन कर्नाटक की हार ने सभी चुनाव पूर्व संकेतों को किनारे कर दिया है। कांग्रेस फिर से पराजित.पार्टी और इसके अध्यक्ष राहुल गांधी हारे हुए योद्धा साबित हुए हैं।
स अवसर पर प्रदेश सचिव श्रीमती नीरा तोमर, जिला महामंत्री देवेन्द्र चौधरी, सोहनपाल सिंह, पार्षद बीर सिंह नैन, मीडिया प्रभारी ठा. अनिल प्रताप सिंह, सह मीडिया प्रभारी दीपक मोहन, टिपर चंद सहित अन्य ने संयुक्त रूप से अपने अपने स�बोधन में इस जीत को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह के कुशल नेतृत्व एंव मेहनत को बताया है। उन्होने कहा कि जीत का सिलसिला आगामी भी बदस्तूर जारी रहेगा इसका हम वादा करते है

Posted by: | Posted on: May 11, 2018

वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली में डीजीटल भुगतान को प्रोत्साहित करने की दिशा में आयोजित मंत्री समूह की बैठक में हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने भाग लिया

नई दिल्ली( विनोद वैष्णव ) ।मंत्री समूह की बैठक से पूर्व हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने हरियाणा भवन में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि विविधताओं वाले इतने बड़े राष्ट्र में समूची कर प्रणाली में समरूपता लाना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व व केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली के मार्ग दर्शन में साकार हो सका है। वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली से देश का विनिर्माण क्षेत्र मजबूत हुआ है। भारत का उद्योग जगत अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा में निर्यात में अपना स्थान मजबूत बना रहा है।वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए डीजीटल भुगतान को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस दिशा में एंड-टू-एंड जिम्मेदारियां भी सुनिश्चित की जानी आवश्यक हैं। वस्तु एवं सेवाकर व्यवस्था में डीजीटल भुगतान के प्रति प्रोत्साहन ‘ विषय को लेकर नई दिल्ली में जीएसटी सचिवालय के कार्यालय में बिहार के उप मुख्यमंत्री  सुशील कुमार मोदी के संयोजन में हुई मंत्री समूह की बैठक में पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री श्री अमित मित्रा व पंजाब के वित्त मंत्री श्री मनप्रीत सिंह बादल ने भी भाग लिया। मंत्री समूह की बैठक में हरियाणा के आबकारी एवं कराधान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल भी मौजूद रहे।नई दिल्ली में जीएसटी सचिवालय के कार्यालय में बिहार के उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी के संयोजन में आयोजित मंत्री समूह की बैठक में भाग लेते हुए हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु। बैठक में भाग लेते हुए पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री श्री अमित मित्रा व पंजाब के वित्त मंत्री श्री मनप्रीत सिंह बादल।

Posted by: | Posted on: May 11, 2018

पटाया से गोल्ड मैडल जीतकर लौटे कृष्ण उपमन्यु का जोरदार स्वागत

फरीदाबाद( विनोद वैष्णव ) : 1 से 2 मई को पटाया, बैंकाक में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन चैम्पियनशिप के पुरुष सिंगल कैटेगरी में गोल्ड मैडल जीतकर देश का नाम रोशन करने वाले कृष्ण उपमन्यु का फरीदाबाद लौटने पर अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा ने जोरदार स्वागत किया। ब्राह्मण सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. सुरेन्द्र शर्मा बबली ने फरसा भेंटकर उपमन्यु का सम्मान बढ़ाया और कहा कि कृष्ण ने न केवल फरीदाबाद का बल्कि देश का नाम रोशन किया है और हमें ऐसे खिलाडिय़ों पर गर्व है। उन्होंने कहा कि कृष्ण उपमन्यु ने समस्त ब्राह्मण समाज को गौरवान्वित किया है। ब्राह्मणों के बच्चे बिना किसी सरकारी अनुदान के अपने मेहनत और काबिलियत के दम पर विभिन्न क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार से ऐसे खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने की मांग की। इस अवसर पर उनके साथ पं. एल आर शर्मा मैनेजर, कृष्णकांत, ललित, मोहित, तेजपाल, ओ पी शास्त्री, सुभाष, कृष्ण, हरीश एवं त्रिलोक आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।

Posted by: | Posted on: May 9, 2018

हम अपने सामाजिक उद्देश्य के तहत स्वस्थ धरा और स्वच्छ भारत की दिशा में काम कर रहे हैं- विद्युत मंत्री श्री आर. के. सिंह

( विनोद वैष्णव )|एनटीपीसी राजधानी और एनसीआर को स्वच्छ वातावरण देने के लिए कृषि अवशेष एवं नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन में सबसे अग्रणी रहा है। एनटीपीसी ने विद्युत उत्पादन हेतू जैव-ईंधन (बायो-मास) का इस्तेमाल करने के लिए एक पायलट परियोजना का संचालन सक्रियता से किया, जिससे साबित हो गया है कि जैव-ईंधन विद्युत उत्पादन द्वारा स्वच्छ वातावरण हेतू समाधान है। हम भारत के पर्यावरण को स्वच्छ बनाकर विद्युत उत्पादन तथा स्वच्छ भारत अभियान में अपना योगदान देना चाहते हैं।’’ श्री आर. के. सिंह, माननीय राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा ने विषय  पर एनटीपीसी के दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा। उन्होंने कहा, ‘‘धरती को स्वच्छ और स्वस्थ बनाना हमारा दीर्घकालिक सामाजिक उद्देश्य है और इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए बड़ी लागत की आवश्यकता है। हम ऐसी नीतियां बनाना चाहते हैं ताकि स्वच्छ भारत के लिए हमारे दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा किया जा सके। कृषि अवशेष और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट दोनों का इस्तेमाल विद्युत उत्पादन के लिए किया जा सकता है, हमें इस प्रक्रिया के उचित इस्तेमाल के लिए चुनौतियों का समाधान करना होगा।’’
इस अवसर पर श्री ए. के. भल्ला सचिव विद्युत, भारत सरकार ने कहा, ‘‘एनटीपीसी पूरे देश की प्रमुख कंपनी है और मैं एनटीपीसी प्रबन्धन की सराहना करता हूँ जिसने स्वच्छ वातावरण की दिशा में इस अनूठी अवधारणा को प्रोत्साहित किया है। मेरा मानना है कि यह सम्मेलन सभी हितधारकों के लिए महत्वपूर्ण मंच है जो उन्हें अखिल-भारतीय स्तर पर विद्युत परियोजनाओं में आने वाली समस्याओं तथा इस क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगा। सम्मेलन के महत्वपूर्ण तथ्य एक बेहतर कल के लिए प्रगतिशील बदलाव का मार्ग प्रशस्त करेंगे। हम इस पहल को अपना पूरा समर्थन प्रदान करेंगे।’’
सम्मेलन पर अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए श्री गुरदीप सिंह, सीएमडी, एनटीपीसी ने कहा, ‘‘इस पहल की शुरूआत कुछ समय पहले हुई जब पिछले साल अक्टूबर माह में शहर में प्रदूषण से जूझ रहा था। हमारे मंत्रालय ने इसके लिए नीतिगत ढांचा तैयार किया, जिसके माध्यम से हमने कृषि अवशेष एवं अन्य ठोस अपशिष्टों के सही इस्तेमाल की दिशा में व्यवहारिक समाधान उपलब्ध कराने के लिए काम किया।’’
तीन उद्देश्यों- स्वच्छ हवा, स्वच्छ भारत एवं रोज़गार सृजन के लक्ष्य से इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है। कृषि अवशेष एवं नगरपालिका ठोस अपशिष्टों से विद्युत उत्पादन सही तरीका है। यह पहल आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगी और साथ ही एमएसएमई सेक्टर में अवसर भी पैदा करेगी।

निगमायुक्त मौहम्मद शाइन ने बताया कि विभिन्न ग्रुप हाउसिंग सोसाईटियों, होटलों, औद्योगिक संस्थानों, अस्पतालों, स्कूल-कालेजों एवं ऐसी अन्य संस्थाओं से बहुत अधिक मात्रा में उद्यान के पत्तों, घास एवं अन्य पौधों की कटिंग का कूड़ा निकलता है। जिसे नियमों के अनुसार निपटारा नहीं किया जाता है और यह एक परेशानी का कारण बन जाता है क्योंकि यह जगह-जगह पर पड़ा सड़ता रहता है जोकि हरियाणा मुनिसिपल कारपोरेशन एक्ट की धारा 1994 के सैक्शन 309 का उल्लंघन है और यह कूड़ा ठोस अवशेष में मिला दिया जाता है जिससे इसे उठाने में अतिरिक्त भार पड़ता है इसलिए उपरोक्त संस्थान भविष्य में उपरोक्त संस्थाओं से निकलने वाले उद्यान सम्बन्धित कूड़े को अपने स्तर पर ही वैज्ञानिक तरीके से वातावरण नियमों को ध्यान में रखते हुए प्रबन्ध एवं निपटारा करें संबंधित कूड़े को किसी भी स्थिति में ना जलाये, अन्यथा हरियाणा म्युनसिपल कारपोरेशन एक्ट 1994 के तहत कार्यवाही की जायेगी।

Posted by: | Posted on: May 7, 2018

हरियाणा, इज़राइल की भांति राज्य में एम्बुलेंस से सुसज्जित दोपहिया सेवा शुरू करने पर विचार कर रहा है

नई दिल्ली ( विनोद वैष्णव )|  हरियाणा, इज़राइल की भांति राज्य में एम्बुलेंस से सुसज्जित दोपहिया सेवा शुरू करने पर विचार कर रहा है।यह संभावना मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में इज़राइल गए एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के जेरूसलेम में यूनाइटेड हट्ज़लाह से भेंट के बाद उभर कर सामने आई,   जहां उन्होंने अधिकारियों के साथ दुपहिया वाहनों पर समुदाय आधारित एम्बुलेंस सेवाओं की अवधारणा के बारे में पता लगाने के लिए बातचीत की। यह सेवा किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए इज़राइल के भीड़-भाड़ वाले शहरों में शुरू की गई है। अमूल्य समय और जान बचाने वाली इस सेवा में मुख्यमंत्री द्वारा गहरी रुचि दिखाए जाने पर इज़राइल का यूनाइटेड हट्ज़लाह इस क्षेत्र में समझौते की संभावनाओं का पता लगाने के लिए हरियाणा में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने के लिए सहमत हो गया है। एम्बूसाइकल्स के नाम से विख्यात इन दोपहिया वाहनों में सभी आवश्यक चिकित्सा उपकरण रखने के लिए डिज़ाइन किया गया फस्र्ट-एड केस लगा होता है। एम्बूसाइकल्स के आकार के कारण यातायात जाम या संकीर्ण गलियां कारों और एम्बुलेंस की भांति इनकी यात्रा में बाधा नहीं डालती। एम्बूसाइकल्स का उपयोग समस्त इजऱाइल में यूनाइटेड हट्ज़लाह के स्वयंसेवकों द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि किसी भी दुर्घटना के पहले कुछ मिनटों में लोगों को आपातकालीन उपचार मिल जाए।मुख्यमंत्री के नेतृत्व में गए उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्ण कुमार शामिल हैं। इजऱाइल का यूनाइटेड हट्ज़लाह सबसे बड़ा स्वतंत्र, गैर-लाभकारी, स्वैच्छिक आपातकालीन चिकित्सा सेवा संगठन है जो पूरे इजऱाइल में सबसे तेज एवं नि:शुल्क आपातकालीन चिकित्सा सेवा प्रदान करता है। यूनाइटेड हट्ज़लाह की सेवा लोगों की जाति, धर्म, या राष्ट्रीय मूल पर ध्यान दिए बिना सभी के लिए उपलब्ध है। देश भर में इसके 4,000 से अधिक स्वयंसेवक हैं, जो दिन में चौबीस घंटे, सप्ताह में सात दिन और साल में 365 दिन चौबीसों घंटे उपलब्ध हैं। अनूठी जीपीएस तकनीक और प्रतिष्ठित एम्बुलेंस की मदद से, औसत प्रतिक्रिया समय देश भर में तीन मिनट से भी कम और मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों में 90 सेकंड है।
Posted by: | Posted on: May 4, 2018

एनटीपीसी ने वर्ष 2018-19 के लिए 268 बिलियन युनिट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य तय किया

नई दिल्ली( विनोद वैष्णव )| भारत की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादन कंपनी एनटीपीसी ने विद्युत मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) हस्ताक्षरित किया। एमओयू के अनुसार वर्ष 2018-19 के दौरान 268 बिलियन युनिट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है।
3 मई 2018 को एनटीपीसी एवं भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के बीच वर्ष 2018-19 के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
एनटीपीसी ने वर्ष 2018-19 के लिए 268 बिलियन युनिट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। वहीं प्रचालन से राजस्व हेतू 85,500 करोड़ रु का लक्ष्य तय किया गया है। 2018-19 के लिए हुए समझौता ज्ञापन में वित्तीय कार्यप्रदर्शन, प्रचालन दक्षता में सुधार, कैपेक्स, परियोजना निगरानी, टेकनोलाॅजी अपग्रेडेशन और एचआर प्रबन्धन भी शामिल हैं।

Posted by: | Posted on: April 25, 2018

सेक्स एजुकेशन क्यों ज़रूरी हैं बच्चो के लियें?

सेक्स हमारे देश में एक ऐसा विषय है जिसके बारे खुल कर बात करना तो दूर सोचना भी गन्दा काम माना जाता हैं जबकि हर कोई यह भूल जाता हैं कि इसी गंदे काम के कारण लोग इस दुनिया में आये हैं.

पहले के वक़्त में तो यह किसी पिशाच से कम नहीं था लेकिन अभी के समय में लोगो की सोच इस विषय को लेकर बदल रही हैं. अब सेक्स सिर्फ एक वासना पूर्ति के साधन के रूप में न लेकर एक शिक्षा के रूप में लोगो तक पहुचाया जा रहा हैं.

भारत में स्कूली शिक्षा के साथ ही सेक्स शिक्षा को भी पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए कदम उठाएं गए, लेकिन आज भी देश के लोगों को सेक्स शिक्षा को अपनाना रास नहीं आया. इसलिए लोगों ने यौन शिक्षा का अच्छा खासा विरोध जताया.

बदलते भारत के साथ ही कई क्षेत्रों में भी परिवर्तन हुए है, इन्हीं परिवर्तनों के चलते कुछ परिवर्तन सही दिशा में हुए तो कुछ गलत दिशा में.इन्हीं परिवर्तनों के चलते सरकार ने हाल ही के दिनों में शिक्षा में भी अमूल-चूल परिर्वतन करने की कोशिश की.

इन परिवर्तनों के तहत सरकार स्कू्ली बच्चों की शिक्षा में छठीं क्लास से सेक्स शिक्षा को भी शामिल करना चाहती है, लेकिन भारत में सेक्स शिक्षा को लेकर खूब बवाल मचाया गया.

लोगों का मानना है कि स्कूलों में सेक्स एजुकेशन होने से भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर नकारात्मक असर पड़ेगा.

क्या आप जानते हैं आज के समय में सेक्स एजुकेशन का बहुत महत्व है.

यदि स्कूलों में सेक्स एजुकेशन शुरू कर दी जाए तो इसका किशोरों को पथभ्रष्ट‍ होने से रोका जा सकता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है बच्चों को सही रूप में पूर्ण सेक्स शिक्षा दी जाए. स्कूलों में यौन शिक्षा के माध्यम से न सिर्फ भविष्य में यौन संक्रमित बीमारियों से बचा जा सकता है बल्कि असुरक्षित यौन संबंधों से भी बचा जा सकता है.

बच्चों को सही उम्र में सेक्स एजुकेशन देने से उनके शारीरिक विकास के साथ ही मानसिक विकास भी पूरी तरह से होता है.

आंकड़ों पर गौर करें तो वर्तमान में 27 से 30 फीसदी होने वाले एबॉर्शन किशोरी लड़कियां करवाती हैं, यदि उन्हें सही रूप में यौन शिक्षा दी जाएगी तो वे गर्भपात के जंजाल से आसानी से बच सकती हैं यानी बिन ब्याहें मां बनने से बच सकती हैं.

बढ़ती उम्र में बच्चे नई-नई चीजों को जानने के इच्छुक रहते हैं और आज के टैक्नोलॉजी वर्ल्ड़ में कुछ भी जानना नामुमकिन नहीं. यदि बच्चों को सही समय पर सही रूप में यौन शिक्षा नहीं दी जाएगी तो अपने प्रश्नों का हल ढूंढ़ने के लिए वे इधर-उधर के रास्ते अख्तियार करेंगे जो कि बच्चों के मानसिक विकास में बाधा डाल सकते हैं. भारत में सेक्स शिक्षा लागू होने के साथ-साथ अभिभावकों को भी इस ओर जागरूक होना होगा और अपने बच्चों को सही उम्र में यौन शिक्षा से सरोकार कराना होगा, तभी सेक्स शिक्षा का सकारात्मक प्रभाव दिखाई पड़ेंगे.

आज आप अपने परिवार या आसपास के लोगों को देखेंगे तो आप पाएंगे कि वे मैच्योर होने के बावजूद सेक्स के बारे में बात करने से कतराते हैं. इसका एकमात्र कारण यही है कि आज भी लोग सेक्स जैसे मुद्दे पर बात करने से कतराते हैं और उन्हें सेक्स के बारे में पूर्ण जानकारी भी नहीं है, ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि अब तक भारत में सेक्स शिक्षा को स्कूलों में लागू करने के बारे में सोचा भी नहीं गया था.

इन सारी बातों से यह तो ज्ञात हैं कि सेक्स एजुकेशन हमारे लिए और हमारे समाज के लिए कितना ज़रूरी हैं लेकिन उससे कही अधिक वह हमारे बच्चों के लिए भी ज़रूरी हैं.

 

For More Info :- http://www.jkhealthworld.com/hindi/यौन-शिक्षा

Posted by: | Posted on: April 25, 2018

कैसे बढ़े शिक्षा की गुणवत्‍ता : एक शिक्षक का दृष्टिकोण

शिक्षक समाज की सर्वाधिक संवदेनशील इकाई है। शिक्षक अपना काम ठीक तरह से नहीं करते- यह आरोप तो सर्वत्र लगाया जाता है। लेकिन यह विचार कोई नहीं करता कि उसे पढ़ाने क्यों नहीं दिया जाता ? आए दिन गैर-शैक्षिक कार्यों में इस्तेमाल करता प्रशासन, शिक्षकों की शैक्षिक सोच को, शैक्षिक कार्यक्रमों को पूरी तरह ध्वस्त कर देता है। बच्चों को पढ़ाना-सिखाना सरल नहीं होता और न ही बच्चे फाईल होते हैं। प्रशासनिक कार्यालय और अधिकारीगण शिक्षा और शिक्षकों की लगातार उपेक्षा करते हैं। उन्हें काम भी नहीं करने देते। इसी कारण स्कूली शिक्षा में अपेक्षित सुधार सम्भव नहीं हो पा रहा है।

सुधार के लिए क्या करें
स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए हमें स्कूलों के बारे में अपनी परम्परागत राय को बदलना होगा। अभी स्कूलों को कार्यालय समझकर, शिक्षकों को प्रतिदिन अनेक प्रकार की डाक बनाने और आँकड़े देने के लिए मजबूर किया जाता है। इससे बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान होता रहता है। बच्चे अपने शिक्षकों से सतत् जुड़े रहना चाहते हैं, विशेषकर प्राथमिक स्तर पर। अत: स्कूलों को कार्यालयीन कामकाज से वास्तव में मुक्त कर प्रभावी शिक्षण संस्थान बनाया जाना चाहिए।

विद्यालय बनाम सामुदायिक शिक्षण केन्द्र
हमारे शासकीय विद्यालय बाल शिक्षण (6-14 आयु वर्ग के बच्चों) के लिए कार्य कर रहे हैं। शिशु शिक्षण के लिए संचालित आँगनवाड़ी और प्रौढ़ शिक्षा के लिए कार्यरत सतत् शिक्षा केन्द्रों का सम्बंध विद्यालय से कहने भर को है। वास्तव में इन सभी के बीच बेहतर तालमेल जरूरी है। यदि इन तीनों एजेंसियों को एकीकृत कर दिया जाए तो 3 से 50 वर्ष तक के लिए शिक्षण की बेहतर व्यवस्था सम्भव है|

यह भी जरूरी है कि आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक और सतत शिक्षा केन्द्रों के प्रेरक को एक साथ मिल-बैठकर कार्य करने के लिए तैयार किया जाए। यदि तीनों एजेन्सी एकीकृत स्वरूप में कार्य करने लगे तो सम्भव है स्कूल की कार्यावधि 12 से 14 घण्टे प्रतिदिन तक हो जाए। साथ ही समुदाय के सभी वर्गों के लिए स्कूल में प्रवेश और सीखने के अवसर बढ़ सकते हैं।

अभी अधिकांश स्कूल अन्य सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर  10 से 5 की अवधि में ही खुलते हैं। इस कारण से रोजगार में जुटे परिवारों के बच्चों के लिए वे अनुपयोगी सिध्द हो रहे हैं। स्कूल की समयावधि सरकारी नियंत्रण में होने के कारण बच्चों की उपस्थिति और सीखने का समय कमतर होता जा रहा है। स्कूली उम्र पार कर चुके किशोरों, युवाओं, महिलाओं और कामकाजी लोगों के लिए स्कूल के दरवाजे एक तरह से बन्द ही हैं। विद्यालय समाज की लघुतम इकाई के रूप में ”सामाजिक शिक्षण केन्द्र” के रूप में कार्य कर सकते हैं। इस परिकल्पना को साकार करने की दिशा में पहल किए जाने का दायित्व स्थानीय ”पालक शिक्षक संघ” पूरा कर सकते हैं। अगर समाज की जरूरत के चलते चिकित्सालय और थाने दिन-रात खुले रह सकते हैं, तो यह भी उतना ही आवश्यक है कि विद्यालय कम-से-कम 12-16 घण्टे जरूर खुलें।

 

शिक्षक-छात्र अनुपात ठीक हो

शैक्षणिक सुधार में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। पाठयपुस्तकों और पाठयक्रम के अनुरूप प्रभावी शिक्षण, शिक्षकों की योग्यता, सक्रियता और पढ़ाने के कौशल पर निर्भर है। एक शिक्षक, एक साथ कितनी कक्षाओं के कितने बच्चों को भली-भाँति पढ़ा सकेगा, इस बारे में गम्भीरतापूर्वक विचार करने की जरूरत है।

आदर्श रूप में एक शिक्षक अधिकतम 20 बच्चों को ही ठीक प्रकार पढ़ा सकता है। वह भी तब, जब वे भी एक समान स्तर के हों। अभी व्यवस्था यह है कि एक शिक्षक 40 बच्चों को (और वे भी अलग-अलग स्तरों के हैं) पढ़ाएगा। अनेक स्कूलों में तो 70-80 से भी अधिक बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है। ऐसे में शिक्षक मात्र बच्चों को घेरकर ही रख पाते हैं पढ़ाई तो सम्भव ही नहीं। शिक्षक बच्चों को पढ़ा भी पाएँ, इस हेतु शिक्षक-छात्र अनुपात को व्यवहारिक बनाना होगा।

 

प्रशिक्षणशिक्षण और परीक्षण

स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए शिक्षण विधियों, प्रशिक्षण और परीक्षण की विधियों में भी सुधार करने की जरूरत है। अभी शिक्षण की विधियाँ राज्य स्तर से तय की जाती हैं। कक्षागत शिक्षण कौशलों को या तो नकार दिया जाता है या उन्हें परिस्थितिजन्य मान लिया जाता है।

अच्छे प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण का दायित्व कर्तव्यनिष्ठ, योग्य और क्षमतावान प्रशिक्षकों को सौंपा जाना चाहिए। शिक्षकों के प्रशिक्षण को प्रभावी बनाने, शिक्षण में नवाचारी पध्दतियाँ विकसित करने सहित परीक्षण (मूल्यांकन) की व्यापक प्रविधियाँ तय कर उन्हें व्यवहारिक स्वरूप में लागू करने की दिशा में कारगर कदम उठाने की दृष्टि से यह आवश्यक है कि हर प्रदेश में एक ”शैक्षिक संदर्भ एवं स्त्रोत केन्द्र” विकसित किया जाए।

 

शिक्षास्वास्थ्य और रोजगार मूलक परियोजनाएँ

शिक्षा के क्षेत्र में अनेक संस्थाएँ कार्यरत हैं। रोजगार और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी शासकीय स्तर पर परियोजनाएँ और कार्यक्रम लागू किए गए हैं। मानव विकास के बुनियादी सूचकांक होते हुए भी इनमें तालमेल न होने के कारण इनकी गति अपेक्षित नहीं है। धन की गरीबी से ज्ञान की गरीबी का विशेष सम्बंध है। ग्रामीण दूरस्थ अँचलों में ज्ञान की गरीबी पसरी हुई है। जानकारी के अभाव में वे संसाधनों का उपयोग नहीं कर पाते। अनेक परियोजनाओं के बावजूद उनकी प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक चिकित्सा और बुनियादी रोजगार की प्रक्रियाएँ बाधित होती हैं। अब समय आ गया है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए लागू परियोजनाओं को समेकित ढ़ंग से किसी सुनिश्चित क्षेत्र में लागू कर परिणामों की समीक्षा की जाए। अच्छे परिणाम आने पर उन्हें पूरे देश भर में लागू किया जाए। इस प्रकार हम अपने संसाधनों और मानवीय क्षमताओं का बेहतर उपयोग कर सकेंगे जिससे शिक्षा के गुणात्मक विकास की संभावनाएँ बढ़ेंगीं।

 

पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें

अभी वास्तव में यह ठीक प्रकार तय ही नहीं है कि किस आयु वर्ग के बच्चों को कितना सिखाया जा सकता है और सिखाने के लिए न्यूनतम कितने साधनों और सुविधाओं की आवश्यकता होगी। नई शिक्षा नीति 1986 लागू होने के बाद न्यूनतम अधिगम स्तरों को आधार मानकर पाठ्यपुस्तकें और पाठ्यक्रम तो लगातार बदले गए हैं, लेकिन उनके अनुरूप सुविधाओं और साधनों की पूर्ति ठीक से नहीं की गई है। यह सोच भी बेहद खतरनाक है कि पाठ्यपुस्तकों के जरिए हम भाषायी एवं गणितीय कौशलों और पर्यावरणीय ज्ञान को ठीक प्रकार विकसित कर सकते हैं। यथार्थ में पाठ्यपुस्तकें पढ़ाई का एक छोटा साधन मात्र होती हैं साध्य नहीं। कक्षाओं पर केन्द्रित पाठयपुस्तकों और पाठ्यक्रम को श्रेणीबध्द रूप में निर्धारित करना भी खतरनाक है। बच्चों की सीखने की क्षमता पर उनके पारिवारिक और सामाजिक वातावरण का भी विशेष प्रभाव पड़ता है, अत: सभी क्षेत्रों में एक समान पाठ्यक्रम और एक जैसी पाठ्यपुस्तकें लागू करना बच्चों के साथ नाइन्साफी है।

 

शैक्षिक उद्देश्य

स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए  हमें वर्तमान शैक्षिक उद्देश्यों को भी पुनरीक्षित करना होगा। शिक्षा, महज परीक्षा पास करने या नौकरी/रोजगार पाने का साधन नहीं है। शिक्षा विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास, अन्तर्निहित क्षमताओं के विकास करने और स्वथ्य जीवन निर्माण के लिए भी जरूरी है। शिक्षा प्रत्येक बच्चे को श्रेष्ठ इंसान बनने की ओर प्रवृत्त करे, तभी वह सार्थक सिध्द हो सकती है। कहा भी गया है ”सा विद्या या विमुक्तये”। अभी पढ़े-लिखे और गैर पढ़े-लिखे व्यक्ति के आचरण और चरित्र में कोई खास अन्तर दिखाई नहीं देता। उल्टे पढ़-लिख लेने के बाद तो व्यक्ति श्रम से जी चुराने लगता है और अनेक प्रकार के दुराचरणों में लिप्त हो जाता है। यह स्थिति एक तरह से हमारी वर्तमान शैक्षिक पध्दति की असफलता सिध्द करती है। अतः यह जरूरी है कि शिक्षा के उद्देश्यों को सामयिक रूप से परिभाषित कर पुनरीक्षित किया जाए।

 

शिक्षकों को शिक्षक” के रूप में अवसर मिले

समान कार्य के लिए समान कार्य परिस्थितियाँ और समान वेतन की अनुशंसा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में और मानव अधिकार घोषणा पत्र के अनुच्छेद 21, 22, और 23 में वर्णित होते हुए भी नाना नामधारी शिक्षक मौजूद हैं। एक ही विद्यालय में अनेक प्रकार के शिक्षकों के पदस्थ रहते सभी के मन में घोषित-अघोषित तनावों के कारण पढ़ाई में व्यवधान हो रहा है। इस परिस्थिति को गम्भीरता से समझे बगैर और परिस्थितियों में सुधार किए बगैर भला शिक्षण में सुधार कैसे होगा? शासन को सभी शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत शिक्षकों के लिए एक समान कार्यनीति, समान पदनाम, समान वेतनमान देने की नीति तय कर एक निश्चित कार्यावधि के बाद पदोन्नति देने का भी ऐलान करना चाहिए।

 

श्रेष्ठतम शैक्षिक कार्यकर्ता

शैक्षिक परिवर्तन के लिए शिक्षकों का मनोबल बनाए रखने और उत्साहपूर्वक कार्य करने की इच्छाशक्ति पैदा करने के लिए संगठित प्रयास करने होंगे। अभी शिक्षा व्यवस्था में बालकों और पालकों की भागीदारी न्यूनतम है, इसलिए सभी शैक्षिक कार्यक्रम सफल नहीं हो पाते हैं। स्कूलों में भी जिस प्रकार समर्पित स्वयंसेवकों की आवश्यकता है, वे नहीं हैं। अत: यह आवश्यक है कि श्रेष्ठतम शैक्षिक कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की जानी चाहिए।

 

शिक्षकों का मनोबल बढ़ाया जाए

समूची दुनिया के सभी विकसित और विकासशील देशों में प्राथमिक शालाओं के शिक्षकों को आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक और प्रशासनिक दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है। साथ ही ऐसी शिक्षा नीति बनाई जाती है जिसमें उनका मनोबल सदैव ऊँचा बना रहे। जब तक अनुभव जन्य ज्ञान, और कौशलों को महत्व नहीं दिया जाएगा तब तक ”बालकेन्द्रित शिक्षण” की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती है। बाल केन्द्रित शिक्षण के लिए कार्यरत शिक्षकों की दक्षता और मनोबल बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।

यह आवश्यक है कि शिक्षकों को उनके व्यक्तित्व विकास की प्रक्रियाओं सहित ऐसे प्रशिक्षण संस्थानों में भेजा जाए जहाँ उन्हें अपने अन्दर झाँकने ,कुछ बेहतर कर गुजरने की प्रेरणा मिल सके। इस प्रशिक्षण उपरान्त उन्हें कार्यरत स्थलों पर ”ऑन द जॉब सपोर्ट” के रूप में ऐसे सहयोगी दिए जाएँ जो उनकी वास्तविक मदद करें। किसी ऐसी संस्था को इस दिशा में काम करने की जरूरत है जो सामाजिक बदलाव के लिए व्यापक दूरदृष्टि और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ काम करने के लिए सहमत हो और उसके पास स्वयं के संसाधन भी उपलब्ध हों।

आज जरूरत इस बात की है कि किसी प्रकार पढ़ने-लिखने की प्रक्रिया में परिवर्तन लाने के लिए विद्यालय प्रशासन, शिक्षकों और शैक्षिक कार्यक्रमों में तालमेल बनाया जाए। समुदाय की शैक्षिक आवश्यकताओं को पहचान कर उनकी जरूरतों के अनुरूप निर्णय लेते हुए ऐसा वातावरण बनाने की आवश्यकता है जिसमें व्यवसायिक योग्यता में वृध्दि सुनिश्चित हो। शिक्षा के प्रशासन एवं प्रबन्धन में उत्तरदायी भूमिका निभाने वाले संस्था प्रधानों की नियुक्ति और प्रशिक्षण हेतु शिक्षा विभाग एवं शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे अन्य संगठनों को शीघ्र कारगर कदम उठाना चाहिए। संस्था प्रधानों की भूमिका को सशक्त बनाए बगैर शिक्षा में सुधार की सम्भावनाएँ अत्यन्त क्षीण रहेंगी।

 

प्रशासनिक एवं प्रबन्धकीय व्यवस्थागत सुधार

शिक्षा प्रशासन की यह नियति बन गई है कि इसमें उच्च शिक्षा स्तर पर भी स्थायित्व नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 और कार्ययोजना 1992 में स्वीकृत अखिल भारतीय शिक्षा सेवा की स्थापना आज तक नहीं हो पाई है। लगभग हर स्तर पर निर्णायक पदों पर नियुक्त प्रशासनिक सेवा के अधिकारी शिक्षा क्षेत्र में आ रही गिरावट और असफलता के लिए उत्तरदायी नहीं माने जाते। हाँ, किसी छोटी-सी सफलता का श्रेय अवश्य हासिल करते नजर आते हैं। शिक्षा में सुधार के लिए कार्यरत शिक्षकों को समर्थन देने की दृष्टि से यह अत्यंत आवश्यक है कि शिक्षा के प्रबन्धन और प्रशासन को सुधारा जाए। म.प्र. शासन द्वारा वर्ष 2003 में गठित ”स्पेशल टास्क फोर्स” की अनुशंसाओं को लागू किए जाने की भी आज महती आवश्यकता है जो एक दस्तावेज में सिमट कर रह गई हैं। म.प्र. देशभर में सर्वप्रथम जन शिक्षा अधिनियम तैयार कर लागू करने वाले प्रदेश के रूप में है। क्रियान्वयन के स्तर पर जरूर अनेक कार्य अभी शेष हैं जिसमें प्रमुख कार्य सभी स्तरों पर कार्यरत शिक्षा केन्द्रों के संचालन हेतु मैनुअल (संचालन मार्गदर्शिकाओं) का सृजन और उन्हें लागू करना है, ताकि कार्यरत स्टाफ बेहतर प्रदर्शन कर सके। प्रदेश के सभी जनशिक्षा केन्द्रों को प्रबन्धन और प्रशासन के प्रति उत्तरदायी भूमिका सौंपते हुए जनशिक्षा केन्द्र प्रभारी को आहरण वितरण अधिकार दिए जाने चाहिए। यह अत्यंत आवश्यक है कि समग्रत: शिक्षा व्यवस्था को नियंत्रित किए जाने हेतु राज्य की शिक्षा नीति तैयार की जानी चाहिए। कार्यरत शिक्षकों की दक्षता का सम्मान और उनकी कार्यदक्षता का उपयोग किए जाने की दृष्टि से विभागीय दक्षता परीक्षा का आयोजन कर सभी को प्रन्नोत किया जाना चाहिए। अंतत: शैक्षिक सुधार के लिए अब हमें विचार करने की बजाय कर्तव्य की ओर बढ़ना होगा।

आज शिक्षा के क्षेत्र में वास्तविक सुधार की दृष्टि से शीघ्र सार्थक कदम उठाते हुए हमें ऐसी शिक्षण पध्दति और कार्यक्रम विकसित करने होंगे जो बच्चों के मन में श्रम के प्रति निष्ठा पैदा करें। समग्रत: एक ऐसा प्रभावी शैक्षिक कार्यक्रम बनाना होगा जिसमें –

  1. पाठ्यक्रम लचीला और गतिविधि आधारित हो, साथ ही बच्चों की ग्रहण क्षमता के अनुरूप भी।
  2. कक्षागत पाठ्य योजनाएँ, स्वयं शिक्षकों द्वारा तैयार की जाएँ और उन्हें पूरा किया जाए।
  3. राज्य की शिक्षा नीति निर्धारण में शिक्षाविदों और कार्यरत शिक्षकों को वास्तव में सहभागी बना कर सभी के विचारों को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाए।
  4. जन भागीदारी समितियाँ (पालक शिक्षक संघ) प्रबन्धन का दायित्व स्वीकारें – शैक्षिक प्रशासन तंत्र भी शालाओं में अनावश्यक हस्तक्षेप न करें। शिक्षण का अधिकार शिक्षकों को वास्तव में सौंपा जाए।
  5. शिक्षण विधियों में परिवर्तन करने का अधिकार शिक्षकों को हो, प्रशासनिक अधिकारियों को नहीं।
  6. कक्षाओं में शिक्षक-छात्र अनुपात ठीक किया जाए, साथ ही पर्याप्त मात्रा में शैक्षिक सामग्री की पूर्ति और शिक्षकों की भर्ती की जाए।
  7. पाठ्यपुस्तकों की रचना स्थापित रचनाकारों की बजाय शिक्षकों और शिक्षा विशेषज्ञों के माध्यम से की जानी चाहिए, जो शैक्षिक दृष्टि से उपयुक्त हो।
  8. शैक्षिक सुधारों को लागू करने में संस्था प्रधानों और शिक्षकों की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जाए।
  9. शिक्षकों के सहयोग हेतु ”राज्य शिक्षक सन्दर्भ और स्त्रोत केन्द्र” स्थापित किए जाएँ।
  10.  विद्यालयों को सामुदायिक शिक्षण के लिए उत्तरदायी बनाया जाए।

By दामोदर जैन | जुलाई 27, 2012

Posted by: | Posted on: April 25, 2018

भाकियू के साथ किसानों की लड़ाई में कूंदे अन्ना हजारे

 

फरीदाबाद ( विनोद वैष्णव )। केन्द्र और हरियाणा प्रदेश की भाजपा सरकार ने किसानों के लिए कुछ नहीं किया। वर्ष 2014 में चुनावों से पहले बीजेपी के नेताओं ने पूरे देश के किसानों से जो वायदे किए थे, उनमें से एक भी पूरा नहीं किया। यह किसानों के साथ वायदा खिलाफी है। यदि अब ाी सरकार नहीं जागी, और किसानों की मांगे नहीं मानी, तो पूरे देश का किसान मिलकर ााजपा के खिलाफ सडकों पर उतरेगा।भारतीय किसान यूनियन (अ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. ऋषिपाल अ बावता ने उक्त शब्द यहां सैक्टर-19 में आयोजित हुई हरियाणा प्रदेशस्तरीय किसान सभा को संबोधित करते हुए कहे। उन्होने कहा समाजसेवी अन्ना हजारे ने भाकियू के साथ मिलकर किसानों की लडाई को मजबूत करने का ऐलान किया है। अब भाकियू पूरे देश में जहां ाी किसानों का आंदोलन होगा अन्ना हजारे उनके साथ होंगे। उन्होने कहा जल्द प्रदेश के 21 जिलों का किसान प्रतिनिधि मंडल मु यमंत्री मनोहर लाल से 31 मई को चण्डीगढ़ जाकर मिलेगा, और किसानों की जायज मांगों को रखेगा, और यदि सरकार ने यूनियन के नेताओं से मुलाकात करने में आनाकानी की तो 10 से 12 मई तक हरिद्वार में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन में यूनियन भाजपा के खिलाफ आर-पार की लडाई का ऐलान कर देगी।अ बावता ने कहा भाकियू किसान हितों में कई बार अपनी इन मांगों को रख चुकी है जिसे पूरे देश के सैकडों किसान संगठनों ने माना हैं। इन मांगों में प्रमुख रूप से पूरे देश के किसान का कर्जा माफ हो। स्वामी नाथन आयोग का गठन हो। देश के किसान को 5 हजार रूपए पेशन मिले। किसान के बच्चों को निशुल्क शिक्षा मिले। खराब हुई फसल का मुआवजा 40 हजार प्रति ऐकड मिले। किसानों को बिजली, टयूबवैल कनैक्शन निशुल्क मिले। अबावता ने कहा प्रधानमंत्री देश को गर्त में ले जाने का काम कर रहे हंै। उन्होने कभी इस देश की जनता और किसानों से प्यार नहीं किया, इसीलिए वह गरीब, मजदूर और कमेरे वर्ग के लिए कुछ नहीं कर रहे। वह युवाओं को पकोडे बेचने की सलाह देते हैं जो युवाओ के लिए निराशा की बात है। प्रधानमंत्री मोदी ने सिर्फ मदारी बनकर जनता को मूर्ख बनाकर ठगने का काम किया है। उन्होने कहा मोदी किसान विरोधी हैं, इसलिए उन्होने केवल चंद उद्योगपतियों को देश की पूरी संपत्ति का मालिक बना दिया है। उन्होने कहा देश में किसानों की हालत पहले से ज्यादा खराब है, आत्म हत्याएं रूकी नहीं हैं और किसानों की फसल का मुआवजा नहीं मिल रहा है।प्रदेशस्तरीय किसान बैठक में हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष शमशेर सिंह दहिया ने कहा प्रदेश की भाजपा सरकार हर मामले में फेल है। किसान पहले से ज्यादा दुखी है। इस अवसर पर ााकियू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलविन्द्र सिंह बाजवा, पंजाब के अध्यक्ष सतनाम ङ्क्षसह बेहरू, दिल्ली अध्यक्ष सुरेश छिल्लर, महिला प्रदेश अध्यक्ष शालिनी मेहता, फरीदाबाद जिला अध्यक्ष ठाकुर राजकुमार छांयसा, पूर्व चेयरमैन सुनील भाटी, राजकुमार तौमर, मानसिंह डागर राष्ट्रीय प्रवक्ता, ललित त्यागी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सरदार सिंह भाटी, डॉ. वीरेन्द्र भाटी, दशरथ सिंह, प्रदेश सचिव नफेसिंह, स्वामी कटारिया, पलवल अध्यक्ष ऋषिपाल चौहान, पानीपत से आनंद सिंह, करनाल से दलजीत सिंह मट्टू, गुरूग्राम से पुष्पा धनखड़, कुरूक्षेत्र से बलबिन्द्र ङ्क्षसह, अ बाला से कुलबंत सिंह, कैथल से सुखदेव सिंह, झझर से प्रताप सिंह, रोहतक से अतरसिंह, रिवाडी से भजनलाल युवा नेता प्रवीण चौधरी सहित 21 जिलों के किसानों ने एक सुर में सरकार के खिलाफ कुरूक्षेत्र में विशाल महापंचायत करने का ऐलान किया।

Posted by: | Posted on: April 13, 2018

पी2पी लेंडिंग कंपनी -फेयरसेंट पारपंरिक ऋणदाताओं को ऑनलाइन आने के लिए आकर्षित कर रही है

(विनोद वैष्णव )|जब बात पारंपरिक ऋणदाताओं के ऑनलाइन आने की योजना बनाने की हो, तो भारत की सबसे बड़ी पी2पी लेंडिंग कंपनी फेयरसेंट.कॉम उनके लिए एक पसंदीदा विकल्प के रूप में उभरी है। आज के माहौल में, जहां निवेश में कभी—कभार ही उम्मीद के अनुसार रिटर्न मिलता है और बैंकों जैसे संस्थानों में रखी हमारी ज्यादा बचत उन्हें सेवा शुल्क का भुगतान करने में ही चली जाती है, वहीं फेयरसेंट पहले से ही सत्यापित कर्जदारों को सीधे पैसे ऋण में देने और अपने निष्क्रिय धन पर कुछ अतिरिक्त आय कमाने का अनोखा मौका देता है। पारंपरिक ऋणदाताओं को यह प्लेटफार्म आकर्षक लगता है क्योंकि अब वे फेयरसेंट के प्लेटफार्म के माध्यम से कई कर्जदारों तक पहुंच सकते हैं।फेयरसेंट का यह मॉडल पारंपरिक मॉडल्स की तुलना में बेहतर ब्याज दर देता है क्योंकि यह बिचौलियों को अलग करता है और ऋणदाताओं को अंतिम प्रयोक्ता यानि कर्जदार से सीधे मिलाता है। पारंपरिक तौर पर, बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान कम ब्याज दर (जैसे 6-10%) पर पैसे इकट्ठा करते हैं (बचत खाते या नियत या आवर्ती जैसे जमा के माध्यम से) और इसे कर्जदारों को काफी ज्यादा दरों (18-36%) पर ऋण देते हैं। इस मार्जिन का इस्तेमाल बड़े खर्चों का भुगतान करने के लिए किया जाता है जैसे कि हजारों कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करना और सैकड़ों शानदार शाखाओं को मैंटेन करना, आदि। फेयरसेंट कर्जदारों और ऋणदाताओं को सीधे मिलाता है, जिससे बिचौलियों का खर्च बचता है और कर्जदार जल्दी और कम ब्याज दर पर ऋण पाने में सक्षम होता है और ऋणदाता को भी बैंक डिपॉजिट में बेकार पड़े फंड्स से बेहतर रिटर्न्स कमाने की सुविधा मिलती है।