फरीदाबाद (विनोद वैष्णव) : नृत्य एक साधना है, नृत्य एक पूजा है। नृत्य एक तपस्या है जहां एक आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है। ये कहना है कशीना ऋषि का जो कि मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 14, फरीदाबाद में नृत्य अध्यापिका के तौर पर कार्यरत है और साथ ही काशीनाज्स केनाज डांस ऑफ सोल , द डांस एंड जिम्नास्टिक्स स्टूडियो की निर्देशिका और कोरियोग्राफर भी है। काशीना ऋषि ने कहा कि मेरे लिए नृत्य के मायने एक पूजा ही है,क्योंकि मेरा मानना है काम ही मेरी पूजा है और पूजा ही मेरा काम है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नृत्य हमारे मानसिक तनाव को कम करता है, हमें शारीरिक तो फिट रखता ही है साथ में मानसिक स्फूर्ति भी देता है। इसलिए मुझे नृत्य से कभी थकावट नहीं होती, हमेशा एक अलग एनर्जी एक अलग ही ताकत मिलती है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा की उनका यह मानना है कि इस तनाव भरी दुनिया में जब हम नृत्य कला को अपनाते हैं तो वह हमें तनाव मुक्ति देती है और तनाव भरे जीवन से मुक्ति पाने के लिए सही जरिया भी है। कशीना ऋषि ने कहा कि उन्होंने नृत्य को एक शिक्षा माना है अपने लिए और अपने सब शिष्यों के लिए भी क्योंकि वह चाहती है कि जिस तरह से नृत्य करके वह खुले आसमान में अपने आप को विचरण करती हुई महसूस करती है। उसी तरह से सब स्त्रियां , लड़कियां और हर वो व्यक्ति जो नृत्य को पसंद करते हैं अपने आपको महसूस करें और इस तरह की कला को अपनाकर अपने जीवन में एक शिक्षा की तरह भी अपना कैरियर बना सकती हैं क्योंकि आजकल वह समाज की विचारधारा बिल्कुल बदल चुकी है।
हमारी जड़ शास्त्रीय नृत्य ही हैं कत्थक नृत्य, भरतनाट्यम नृत्य से और भी बहुत सारी शास्त्रीय नृत्य शैली हैं। लेकिन आज समय की मांग के अनुसार हमारे नृत्य शैलियों में कुछ ना कुछ बदलाव आता जा रहा है क्योंकि बदलाव ही जीवन है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि रुका हुआ पानी तो हमेशा बदबू देता है। इसलिए हमे समय के अनुसार कुछ और नवीनतम शैली को सीखा जैसे बैली डांस, अर्बन डांस, फ्यूजन डांस, कंटेंप्रोरी डांस ओर इनके साथ हमने जिम्नास्टिक का समावेश भी किया और सब तक पहुंचाने की कोशिश भी कर रहे हैं।
जीवन में नृत्य कला अपनाओ क्योंकि यह एक तरह की साधना , तपस्या है जो आपके मन , शरीर और आत्मा को पूरी तरह से तृप्त करते हैं और आपको उसमें डूब जाने का अवसर देती है और यही डूब जाना मोक्ष की प्राप्ति है, क्योंकि वह भी आपको तभी प्राप्त होता है जब आप किसी चीज में पूरी तरह से डूब जाते हो। भगवान की भक्ति भी यही कहती है। भगवान यह नहीं कहता कि आप हमेशा मेरे आगे दिया जलाते रहो या घंटी बजाओ वो कहते हैं भाव होना जरूरी है और तप जरूरी है। इसलिए मैने नृत्य को अपने जीवन में पूरा समाहित कर लिया है और उसी का परिणाम है कि मैं अपने आप को पूरा नृत्य में समर्पित कर चुकी हूं। क्युकी नृत्य भाषा है, नृत्य मेरी इच्छा है, नृत्य मेरा सम्मान है, नृत्य मेरी पहचान है, नृत्य मेरा जुनून है, और नृत्य मेरे दिल की शांति है, नृत्य मेरा गौरव है, नृत्य ही मेरा सब कुछ है और इसके साथ है कशीना ऋषि ने कहा की अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस पर सभी नृत्य से जुड़े। इसके साथ ही उन्होंने सभी लोगों , गुरुजनों, महिलाओं , शिष्यों को बधाई दी एवं इसके साथ ही उन्होंने कहा की सभी नृत्य करो हमेशा दिल से आत्मा से नृत्य करो, मुस्कुराते रहो और खुशियां बांटते रहो।