शिक्षक की भूमिका व जिम्मेदारियों पर शताब्दी महाविद्यालय में एक विशेष व्याख्यान

डीएवी शताब्दी महाविद्यालय में उच्चतर शिक्षण संस्थानों में शिक्षक की भूमिका और जिम्मेदारियों को लेकर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया | इस व्याख्यान की मुख्य वक्ता महाविद्यालय की कार्यवाहक प्राचार्या डॉ. अर्चना भाटिया रहीं जिन्होंने इस विषय पर अपने चार दशक लम्बे अनुभव को परिप्रेक्षय में रखा |

डॉ. भाटिया ने आईक्यूएसी हॉल में एकत्रित शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए समझाया कि एक शिक्षक की शैक्षिक,नैतिक, व्यावहारिक व व्यक्तिगत जिम्मेदारियां होती हैं | एक अच्छा शिक्षक इन सभी जिम्मेदारियों को पूर्ण करने के लिए अलग-अलग भूमिकाओं का निर्वहन करता है | इन सभी जिम्मेदारियों के साथ-साथ एक शिक्षक को अपने स्वयं के विकास को भी समझना होगा और उसके लिए उसको अच्छे लोगों की संगत, अच्छे लेखकों को पढ़ना, व्यक्तिगत शिक्षण के प्रति तत्परता, शोध कार्यों में संलिप्तता और नए करियर अवसरों के प्रति सचेत रहना होगा |

हमें एक शिक्षक व गुरु के मध्य के अंतर को भी समझना होगा | एक गुरु आपकी परमात्मा तक की यात्रा को प्रशस्त करता है | उन्होंने एक शिक्षक के अंदर विषय संबंधित गहन ज्ञान, वाक पटुता, व्यवस्थीकरण दक्षता, अभिप्रेरण दक्षता, प्रस्तुतिकरण, समानुभूति, भावनात्मक बुद्धिमत्ता, रचनात्मकता, छात्रों व साथियों के साथ व्यवहार कुशलता, जीवन के हर क्षण में सीखने की ललक जैसी विशेषताओं को बड़ी बारीकी से समझाया |

अपने चार दशक लम्बे सफर को साझा करते हुए प्राचार्या ने बताया कि वर्ष 1986 में महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय से एम.कॉम में गोल्ड मेडलिस्ट होने बाद उन्होंने डीएवी शताब्दी के साथ शिक्षक के तौर पर करियर की शुरुआत वर्ष 1987 में की | अब तक के सफर में उन्होंने सीनियर लेक्चरर, विभागाध्यक्ष, कार्यवाहक प्राचार्या के साथ-साथ संस्थान की विभिन्न कमेटियों में भी अलग-अलग जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन किया | उन्होंने एक घंटे में 69 स्टेटिस्टिक्स विषय की परिभाषाएं व उनके लेखकों के सही नाम लिखकर एक रिकॉर्ड बनाया | इसके अलावा हरियाणा सरकार द्वारा भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर वर्ष 2023 में उनको स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया गया | उन्होंने 9 शैक्षणिक, 12 गैर शैक्षणिक किताबों का लेखन करने के साथ-साथ 51 शोधपत्रों का प्रकाशन भी विभिन्न राष्ट्रिय व अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में किया | वहीं 5 पेटेंट्स भी उनके नाम पर दर्ज हैं | 5 रिसर्च स्कॉलर्स उनके मार्गदर्शन में अपनी पीएचडी की डिग्री हासिल कर चुके हैं और कुछ अभी भी अध्ययनरत हैं | इसके अलावा अलग-अलग शिक्षण संस्थानों में उन्होंने परीक्षक, शोध विशेषज्ञ, संपादकीय बोर्ड सदस्य, आदि के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं |

इस अवसर पर एसएफएस ओवरऑल कोर्डिनेटर डॉ. रूचि मल्होत्रा, कोषाध्यक्ष डॉ. अंजू गुप्ता , मैडम सुनीता डुडेजा के साथ सभी डीन, विभागाध्यक्ष व शिक्षक शामिल रहे |

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