डीएवी शताब्दी महाविद्यालय में आयोजित सात दिवसीय शोध कार्यशाला का समापन

फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : डीएवी शताब्दी महाविद्यालय में आयोजित छह दिवसीय शोध कार्य पर फैकल्टी के लिए कार्यशाला व प्रशिक्षण का आज समापन सत्र आयोजित किया गया | महाविद्यालय रिसर्च कमेटी द्वारा आईक्यूएसी के तत्वावधान में इसका आयोजन किया गया | कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों को शोध में उपयोग की जाने वाली आधुनिक तकनीकों और शोध पत्रों को प्रकाशित करने के उन्नत तरीकों से परिचित कराना रहा । महाविद्यालयंकी कार्यकारी प्रचार्या डॉ. अर्चना भाटिया ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल शिक्षकों को नई तकनीकों से जोड़ते हैं, बल्कि उनके शोध कार्य की गुणवत्ता में भी वृद्धि करते हैं।

इस दौरान विभिन्न वक्ताओं ने अलग-अलग विषयों पर अपने विचार साझा किए। प्रथम दिवस बीसीए विभाग के डीन, श्री दिनेश ने “कैसे चैटजीपीटी शोधकर्ताओं के कार्यों को सरल बनाता है” पर चर्चा की। दूसरे दिन, व्यवसाय प्रशासन विभाग की सहायक प्रोफेसर, डॉ. सुमन गर्ग ने “शोध उद्देश्यों के साथ सांख्यिकीय उपकरणों का समन्वय” विषय पर व्याख्यान दिया। तीसरे दिन, बीजेएमसी विभाग की सुश्री कृतिका ने “कैनवा का उपयोग करके रिज्यूमे बनाना और रचनात्मकता विकसित करना” विषय पर प्रस्तुति दी। चौथे दिन, वाणिज्य विभाग की मीनाक्षी आहूजा ने “धन सृजन के लिए लागत प्रभावी रणनीतियाँ” पर जानकारी दी। पांचवें दिन, एमडीयू के पूर्व अकादमिक डीन, डॉ. रविंदर विनायक ने “गुणवत्तापूर्ण अकादमिक शोध का महत्व और एनईपी 2020” पर चर्चा की। अंतिम छठे दिवस आईएमटी फरीदाबाद की उप प्राचार्या, डॉ. पारुल खन्ना ने “जर्नल्स के लिए शोध पत्र लिखने के एबीसीडीइ” पर जानकारी साझा की।

समापन समारोह में, प्राचार्या डॉ. अर्चना भाटिया ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया और आश्वासन दिया कि इस प्रकार की कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण कार्यक्रम संकाय विकास के लिए भविष्य में भी आयोजित किए जाएंगे। इस कार्यशाला का आयोजन शोध समिति की संयोजिका डॉ. बिंदु रॉय और आईक्यूएसी संयोजक डॉ. जितेंदर ढुल द्वारा किया गया। कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. इमराना खान और डॉ. निशा सिंह रहीं । इनके साथ आयोजन सचिव के रूप में डॉ. मीनाक्षी हुड्डा और डॉ. रश्मि रतूरी ने भी सहयोग दिया। कॉलेज के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ. सुनीति आहूजा, डॉ. अंजु गुप्ता, डॉ. रुचि मल्होत्रा, डॉ. अर्चना सिंघल और डॉ. सुनीता डुडेजा ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस कार्यशाला में 80 से अधिक शिक्षकों ने भाग लिया।

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